
गुरुग्राम। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने महिला मॉक पार्लियामेंट कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 25 जून 1975 को देश के लोकतंत्र पर हुए हमले को याद किया। उन्होंने कहा कि यह दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल (इमरजेंसी) की घोषणा कर देशवासियों की आवाज को कुचलने का काम किया। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि आपातकाल के दौरान जो यातनाएं आम नागरिकों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों ने सही, उन्हें देश कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज उसी पार्टी की चौथी पीढ़ी का युवराज चुनी हुई सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा है। उन्होंने कहा, “चुनाव में अयोग्य घोषित होने के बाद 25 जून 1975 को रात 12 बजे इमरजेंसी लागू कर पूरे देश का गला घोंट दिया गया। उस समय के शासन में अंग्रेजों के ज़माने से भी अधिक अत्याचार जनता पर हुए। संविधान को रौंदा गया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनी गई, और लोकतांत्रिक मूल्यों को ताक पर रख दिया गया।” मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि आज भारत संविधान के अनुरूप एक नई दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश की 562 रियासतों को जोड़ने का कार्य किया, लेकिन कश्मीर का मसला उस समय की सरकार की दुर्बलता की वजह से वर्षों तक देश के लिए चुनौती बना रहा। नायब सिंह सैनी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए पूछा कि "विपक्ष आखिर कब 1975 के आपातकाल और 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए देश से माफी मांगेगा?" उन्होंने कहा, “संसद ईंटों की इमारत नहीं, बल्कि लोकतंत्र का मंदिर है। लेकिन विपक्ष के व्यवहार से उसकी गरिमा को लगातार ठेस पहुंची है। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पदों का भी सम्मान नहीं किया।” मुख्यमंत्री ने मॉक पार्लियामेंट में हिस्सा लेने वाली सभी महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संसद में बोले गए एक-एक शब्द का समाज पर प्रभाव पड़ता है। संसद देश की जनभावनाओं और आकांक्षाओं का प्रतिबिंब होती है। उन्होंने अंत में कहा कि “2047 तक क्रांतिकारी वीरों के सपनों का भारत बनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है और हम सबको इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।”
गुरुग्राम। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने महिला मॉक पार्लियामेंट कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 25 जून 1975 को देश के लोकतंत्र पर हुए हमले को याद किया। उन्होंने कहा कि यह दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल (इमरजेंसी) की घोषणा कर देशवासियों की आवाज को कुचलने का काम किया।
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि आपातकाल के दौरान जो यातनाएं आम नागरिकों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों ने सही, उन्हें देश कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज उसी पार्टी की चौथी पीढ़ी का युवराज चुनी हुई सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा है।
उन्होंने कहा, “चुनाव में अयोग्य घोषित होने के बाद 25 जून 1975 को रात 12 बजे इमरजेंसी लागू कर पूरे देश का गला घोंट दिया गया। उस समय के शासन में अंग्रेजों के ज़माने से भी अधिक अत्याचार जनता पर हुए। संविधान को रौंदा गया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनी गई, और लोकतांत्रिक मूल्यों को ताक पर रख दिया गया।”
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि आज भारत संविधान के अनुरूप एक नई दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश की 562 रियासतों को जोड़ने का कार्य किया, लेकिन कश्मीर का मसला उस समय की सरकार की दुर्बलता की वजह से वर्षों तक देश के लिए चुनौती बना रहा।
नायब सिंह सैनी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए पूछा कि “विपक्ष आखिर कब 1975 के आपातकाल और 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए देश से माफी मांगेगा?”
उन्होंने कहा, “संसद ईंटों की इमारत नहीं, बल्कि लोकतंत्र का मंदिर है। लेकिन विपक्ष के व्यवहार से उसकी गरिमा को लगातार ठेस पहुंची है। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पदों का भी सम्मान नहीं किया।”
मुख्यमंत्री ने मॉक पार्लियामेंट में हिस्सा लेने वाली सभी महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संसद में बोले गए एक-एक शब्द का समाज पर प्रभाव पड़ता है। संसद देश की जनभावनाओं और आकांक्षाओं का प्रतिबिंब होती है।
उन्होंने अंत में कहा कि “2047 तक क्रांतिकारी वीरों के सपनों का भारत बनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है और हम सबको इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।”