
सीतामढ़ी में 50 एकड़ में बनेगा भव्य जानकी मंदिर, अयोध्या की तर्ज पर जनकनंदिनी की धरती का बढ़ेगा गौरव
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सीतामढ़ी (बिहार) – भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या की तर्ज पर अब माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी भी धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर नई पहचान बनाने जा रही है। बिहार सरकार के सहयोग से यहां 50 एकड़ भूमि में भव्य जानकी मंदिर परिसर विकसित किया जाएगा। इस परियोजना के जरिए जनकनंदिनी माता सीता की धरती को वैश्विक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उभारने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि यह मंदिर परिसर अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर भव्य और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हो। इस परियोजना में सिर्फ मंदिर ही नहीं, बल्कि एक भव्य प्रवेश द्वार, रामायण पर आधारित संग्रहालय, ध्यान केंद्र, यज्ञशाला, सरोवर, और श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाएं भी बनाई जाएंगी। मंदिर परिसर के चारों ओर हरियाली और आधुनिक बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं इस परियोजना पर विशेष रुचि दिखाई है। उन्होंने हाल ही में अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस प्रोजेक्ट को समयबद्ध और गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए ताकि यह राज्य की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन सके इस भव्य जानकी मंदिर के निर्माण से सीतामढ़ी न सिर्फ धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनेगा, बल्कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। हजारों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आएंगे, जिससे होटल, परिवहन और छोटे व्यवसायों को बड़ा लाभ होगा।माना जाता है कि सीतामढ़ी ही वह स्थान है जहां राजा जनक ने खेत जोतते समय माता सीता को धरती से पाया था। इसी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए यहां भव्य जानकी मंदिर बनाकर जनकनंदिनी की धरती को सम्मान देने की योजना है…… सीतामढ़ी में 50 एकड़ में बनने वाला यह भव्य जानकी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि यह बिहार को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाला एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। जनकनंदिनी की पावन भूमि का गौरव अब पूरे देश और विश्व में और अधिक फैलेगा।
जानकारी के अनुसार, सीतामढ़ी में बनने वाला जानकी मंदिर परिसर न केवल एक भव्य धार्मिक स्थल होगा, बल्कि इसमें आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन से जुड़ी सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। प्रस्तावित संरचनाओं में निम्न शामिल हैं:
विशाल जानकी मंदिर भवन
रामायण पर आधारित डिजिटल व भौतिक संग्रहालय
ध्यान और योग केंद्र
यज्ञशाला और पारंपरिक अनुष्ठान स्थल
कृत्रिम सरोवर और उद्यान
श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला और रसोई
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ओपन थियेटर