
up caste demography, up caste equations, up caste politics, up politics news,uttar Pradesh politics, Brahmin vs Yadav, clash between Brahmin and Yadav in Etawah, caste of narrator, Akhilesh Yadav, Yogi Adityanath, उत्तर प्रदेश राजनीति, ब्राह्मण बनाम यादव , इटावा में ब्राह्मण और यादव के बीच संघर्ष, कथावाचक की जाति, अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ
topbands
इटावा कांड से बढ़ी ब्राह्मण नाराजगी, क्या सपा को 5 ब्राह्मण विधायक और एक सांसद की नाराजगी भारी पड़ेगी?
सपा के लिए खतरे की घंटी! इटावा कांड के बाद ब्राह्मण वोट बैंक में टूट का खतरा
5 ब्राह्मण विधायक, 1 सांसद और बढ़ता आक्रोश – क्या इटावा कांड सपा की सियासत में दरार लाएगा?
इटावा हिंसा बना सियासी सिरदर्द, ब्राह्मणों की नाराजगी से सपा संकट में?
सपा को ब्राह्मण वोटों का झटका? इटावा कांड से गहराया सियासी विवाद
ब्राह्मण विधायकों की नाराजगी और इटावा कांड – सपा के लिए राजनीतिक भूकंप के संकेत?
क्या इटावा कांड सपा को ले डूबेगा? ब्राह्मण नेता और सांसद खुलकर नाराज़
वायरल वीडियो में साफ दिखा कि कथावाचक के चोटी काटी गई और भीड़ कार्रवाई करते समय जाति-आधारित सवाल कर रही थी अखिलेश यादव ने कथावाचकों के समर्थन में खुलकर मोर्चा संभाला, उन्हें “कृष्ण भक्त” बताया और जो उन्हें रोकेंगे, उन्हें “प्रभुत्ववादी/वर्चस्ववादी” कहा सपा और यादव महासभा ने ब्राह्मण समाज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिससे सियासत में खलबली मच गई है अखिलेश यादव इस वक्त इतने बौखलाए हुए है की वो अपनी भलाई तक नहीं सोच रहें है कथावाचक के चक्कर में इस वक्त उनका एकतरफा व्यवहार उनकी पार्टी को भरी नुकशान पंहुचा सकता है लेकिन इस बात से अनभिज्ञ अखिलेश यादव अपना यादव समीकरण सेट करने में लगे हुए है चलिए जानते है कैसे दरसअल यूपी में ब्राह्मण वोट लगभग 10% है और सत्ता में इस वर्ग के महत्वपूर्ण लोग शामिल है कई जिलों की परिणाम सफलता इसी वोट बैंक से जुड़ी होती है,,,,,सपा के पास 2022 में सात और भाजपा के पास 83% ब्राह्मण वोट थे; सपा के सिर्फ 5 ब्राह्मण विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 46 हैं अब सपा की सियासत दोधारी तलवार जैसी हो गई है—एक तरफ यादवों को नाराज़ नहीं करना चाहता, दूसरी तरफ ब्राह्मणों को नाराज़ नहीं करना चाहता अब करें तो करें क्या जाए तो जाएं कहा ना घर के रहे गए ना घाट के 2027 में भी अगर यही चलता रहा तो मुमकिन है देखिये इस घटना ने “यादव बनाम ब्राह्मण” चरित्र को उभारा है, जिससे सियासी तूल पकड़ा है। और सपा के लिए जोखिम इस बात का है की दोनों वर्गों के वोट काफी मायने रखते है इसके लिए किसी भी एक वर्ग को नाराज़ करने से 2027 के चुनाव में चुनौती बढ़ सकती है। लेकिन कुछ भी हो एक बात तो तय है की भाजपा के लिए ये अवसर होगा जिसके तहत सपा को नुकशान हो सकता है