
हरियाणा विधानसभा, लोकसभा सचिवालय और स्थानीय प्रशासन के बीच स्पष्ट तालमेल की कमी के चलते
गुरुग्राम (मानेसर), 3 जुलाई 2025
हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मानेसर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शहरी निकाय सम्मेलन का पहला दिन अव्यवस्थाओं और कुप्रबंधन की भेंट चढ़ गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के उद्घाटन के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम में जहां देशभर से महापौर, पार्षद, निगम अध्यक्ष और शहरी प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे, वहीं नेशनल मीडिया के प्रतिनिधि भूखे-प्यासे लौटने को मजबूर हो गए।
तालमेल की कमी, अव्यवस्था बनी बड़ी वजह
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, हरियाणा विधानसभा, लोकसभा सचिवालय और स्थानीय प्रशासन के बीच स्पष्ट तालमेल की कमी के चलते पूरे कार्यक्रम में समन्वय नहीं बन पाया। उद्घाटन समारोह के बाद जैसे ही प्रमुख अतिथि—लोकसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री—स्थान छोड़कर रवाना हुए, अधिकारियों का रवैया लापरवाही भरा हो गया।
भोजन की व्यवस्था नहीं, मीडिया कर्मियों की अनदेखी
सम्मेलन में शामिल कई प्रतिनिधि और मीडिया कर्मी दोपहर 2:30 बजे तक भोजन के लिए भटकते रहे, लेकिन उन्हें न तो संतोषजनक उत्तर मिला, न ही कोई व्यवस्था नजर आई। कई प्रतिनिधि बिना कुछ खाए-पिए कार्यक्रम स्थल से लौट गए, जिससे हरियाणा सरकार की प्रतिष्ठा को राष्ट्रीय स्तर पर ठेस पहुंची।
मीडिया के लिए बनी चाय-नाश्ते की व्यवस्था पर पुलिस का कब्जा
स्थिति तब और बिगड़ गई जब मीडिया कर्मियों के लिए जो चाय-नाश्ते की सीमित व्यवस्था की गई थी, उस पर पहले ही पुलिसकर्मी टूट पड़े। कई बार झड़प की स्थिति भी उत्पन्न हो गई। मीडिया कर्मियों को पीछे हटाकर खुद चाय-नाश्ता करते पुलिसकर्मी नजर आए।
सम्मेलन का उद्देश्य पीछे, व्यक्तिगत छवि निर्माण में लगे अधिकारी
जहां सम्मेलन का उद्देश्य शहरी निकायों को बेहतर संचालन और केंद्र-राज्य की योजनाओं की जानकारी देना था, वहीं अधिकांश अधिकारी नेता-मंत्रियों की चाटुकारिता में व्यस्त नजर आए। सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा का स्टाफ, लोकसभा का स्टाफ और स्थानीय प्रशासन—तीनों अलग-अलग एजेंडे पर चल रहे थे, जिससे व्यवस्थाएं चरमरा गईं।
अधिकारियों का जवाब—’हमें कुछ पता नहीं’
ज्यादातर अधिकारी प्रोटोकॉल ड्यूटी में लगे थे। जब मीडिया या प्रतिनिधि व्यवस्था से संबंधित सवाल पूछते, तो जवाब मिलता, “हम सुबह से ड्यूटी पर हैं, बाकी की जानकारी नहीं है।
राष्ट्रीय स्तर के इस आयोजन में जिस स्तर की अव्यवस्थाएं सामने आईं, वह हरियाणा की प्रशासनिक दक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। यदि ऐसे आयोजनों में मीडिया और जनप्रतिनिधियों की इतनी उपेक्षा होती है, तो सरकार की योजनाएं आम जनता तक कैसे पहुंचेगी—यह एक सोचने योग्य विषय है।