
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: AIMIM क्यों बनना चाहती है महागठबंधन का हिस्सा? ओवैसी ने लालू के पाले में डाली गेंद
Hightlights
AIMIM की ताकत सीमांचल में मजबूत पकड़
महागठबंधन के लिए AIMIM की एंट्री क्यों अहम है?
RJD की नई दुविधा दोस्त या प्रतिद्वंद्वी आगे क्या
AIMIM महागठबंधन में शामिल होना BJP को होगा सीधा नुकसान
बिहार की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हलचल तेज होती जा रही है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन), जो अब तक राज्य में अकेले दम पर चुनाव लड़ती रही है, अब महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जता रही है। खुद ओवैसी ने संकेत दिए हैं कि अगर महागठबंधन में उन्हें जगह मिलती है, तो वे एकजुट होकर बीजेपी को हराने की रणनीति पर काम कर सकते हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने एक ताजा इंटरव्यू में कहा कि उनकी पार्टी का मुख्य लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है और इसके लिए विपक्ष को एकजुट होना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि AIMIM महागठबंधन का हिस्सा बनने को तैयार है, लेकिन इस पर फैसला अब RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव और महागठबंधन के अन्य नेताओं को लेना है। उन्होंने कहा, “हम गठबंधन के लिए तैयार हैं, पर फैसला उन्हें करना है। हम अपने दरवाजे बंद नहीं कर रहे।”बिहार के सीमांचल क्षेत्र में AIMIM का अच्छा खासा प्रभाव है। 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने यहां 5 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। हालांकि बाद में उसके 4 विधायक RJD में शामिल हो गए, फिर भी पार्टी ने साबित किया कि सीमांचल की मुस्लिम आबादी में उसकी पकड़ मजबूत है। हालांकि ओवैसी ने गेंद लालू यादव के पाले में डाल दी है, लेकिन RJD के लिए AIMIM को गठबंधन में शामिल करना आसान नहीं होगा।
RJD AIMIM को मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने वाली पार्टी मानती रही है। पार्टी के अंदर कुछ नेता AIMIM को कट्टरपंथी कहकर भी खारिज करते हैं। इसके अलावा पिछली बार AIMIM के विधायकों के RJD में आने के बाद जो राजनीतिक समीकरण बने, वो भी एक चिंता का विषय हैं। अगर AIMIM महागठबंधन में शामिल होती है और सीमांचल में मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं होता, तो बीजेपी के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है। सीमांचल में भाजपा को जीत दिलाने में वोटों के बंटवारे का बड़ा योगदान रहा है।असदुद्दीन ओवैसी ने साफ तौर पर महागठबंधन में आने की इच्छा जताई है, लेकिन गेंद अब लालू यादव और विपक्षी खेमे के पाले में है। क्या RJD AIMIM को साथ लेकर चलेगी? या मुस्लिम वोटों की सियासत में फिर होगा टकराव? आने वाले हफ्तों में इस पर बड़ा राजनीतिक फैसला हो सकता है।