
जब तक पूरा मुआवजा ब्याज सहित नहीं मिलता, कोई कार्य शुरू नहीं होगा।” मेवात के किसान अब केवल मुआवजे की मांग नहीं कर रहे, वे अपना सम्मान और हक़ मांग रहे हैं। भारी पुलिस बल, प्रशासनिक दबाव और मुकदमों की धमकियां भी उनके इरादों को डिगा नहीं सकीं। यह आंदोलन अगर जल्द नहीं सुलझा, तो यह हरियाणा के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी भड़क सकता है और एक बड़े किसान आंदोलन का रूप ले सकता है।
सोहना आईएमटी, मेवात7 जुलाई,
हरियाणा के मेवात जिले के सोहना औद्योगिक क्षेत्र (IMT) में भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुआवजे की मांग को लेकर चल रहा किसानों का विरोध प्रदर्शन अब एक नया मोड़ ले चुका है। भारी संख्या में पहुंचे किसानों ने पुलिस और जिला प्रशासन की तमाम रणनीतियों को विफल करते हुए औद्योगिक क्षेत्र में कार्य शुरू नहीं होने दिया।
बीते दो दिनों से पुलिस बल की भारी तैनाती के बावजूद किसान अपने आंदोलन पर अडिग हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें बढ़ा हुआ मुआवजा ब्याज सहित दिया जाए, अन्यथा कोई निर्माण कार्य नहीं शुरू होने दिया जाएगा।
पुलिस बल सुबह आता, शाम को लौटता – किसान डटे हुए
प्रशासन ने विरोध को नियंत्रित करने के लिए हर दिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक भारी पुलिस बल तैनात किया है। लेकिन हकीकत यह है कि:
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पुलिस काम शुरू नहीं करा पा रही है।
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प्रदर्शनकारी एचएसआईआईडीसी (HSIIDC) के ठेकेदारों को काम करने नहीं दे रहे।
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गुप्तचर विभाग के अधिकारी भी पंचायत के इर्द-गिर्द सक्रिय दिखे, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ।
यह साफ़ है कि भारी सरकारी उपस्थिति के बावजूद मौके पर किसान पूरी तरह से हावी हैं।
किसान नेता रवि आज़ाद का ऐलान: “न झुकेंगे, न हटेंगे!”
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हरियाणा के जाने-माने किसान नेता रवि आज़ाद पिछले तीन दिनों से साथियों सहित सड़क पर ही रात गुजार रहे हैं। दिन में वे प्रशासन और सरकार को खुलकर घेरते हुए आंदोलन को धार दे रहे हैं।
रवि आज़ाद के मुख्य बयान:
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“जब तक पूरा मुआवजा ब्याज सहित नहीं मिलता, कोई कार्य शुरू नहीं होगा।”
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“यह पुलिस बल हमें डराने नहीं आया, बल्कि खुद डर कर शाम को लौट जाता है।”
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“मुख्यमंत्री किसानों के हितैषी हैं, लेकिन कुछ अधिकारी उन्हें सच्चाई से दूर रखे हुए हैं।”
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“यह सिर्फ आंदोलन नहीं, किसानों का हक़ है, और हम इसे लेकर रहेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब आंदोलन को मजबूत करने के लिए हरियाणा, पंजाब और कोलकाता से बड़े किसान नेता बुलाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में एक महापंचायत का आयोजन होगा।
पुलिस बल दो महीने से भंडारे में, काम फिर भी ठप
सूत्रों के अनुसार, दो महीने से लगभग 200 पुलिसकर्मी आईएमटी क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। हर दिन वे:
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अपनी गाड़ियों में आते हैं
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भंडारे का भोजन करते हैं
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शाम को बिना किसी ठोस कार्यवाही के लौट जाते हैं।
इससे सवाल उठता है कि जब कार्य नहीं हो पा रहा, तो पुलिस की इस मौजूदगी का उद्देश्य क्या है?
अधिकारी भी बेबस: कई बार दौरा, लेकिन ठोस नतीजा नहीं
नूंह जिले के पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा अब तक कई बार मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा ले चुके हैं, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हो सका।
ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी भी किसी ‘ऊपरी आदेश’ का इंतज़ार कर रहे हैं, जिससे यह आंदोलन और अधिक लंबा खिंच सकता है।
किसानों की मुख्य मांगें:
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अधिग्रहित भूमि के बदले बढ़ा हुआ मुआवजा ब्याज सहित तुरंत दिया जाए।
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किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य बिना समझौते के शुरू न किया जाए।
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किसानों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।
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सीधे मुख्यमंत्री से बातचीत की जाए।
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जिन अधिकारियों ने गलत रिपोर्टिंग की, उन पर कार्रवाई की जाए।
प्रशासन पर सवाल:
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क्या पुलिस केवल उपस्थिति दिखाने के लिए है?
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दो महीने से जो अधिकारी निरीक्षण कर रहे हैं, वो कोई ठोस निर्णय क्यों नहीं ले पा रहे?
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मुख्यमंत्री को किसानों की असली स्थिति से क्यों दूर रखा जा रहा है?
किसानों का स्पष्ट आरोप है कि स्थानीय अधिकारी मुख्यमंत्री को पूरी सच्चाई नहीं बता रहे, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
ये संघर्ष मुआवजे से आगे ‘सम्मान और अधिकार’ का भी है
मेवात के किसान अब केवल मुआवजे की मांग नहीं कर रहे, वे अपना सम्मान और हक़ मांग रहे हैं। भारी पुलिस बल, प्रशासनिक दबाव और मुकदमों की धमकियां भी उनके इरादों को डिगा नहीं सकीं।
यह आंदोलन अगर जल्द नहीं सुलझा, तो यह हरियाणा के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी भड़क सकता है और एक बड़े किसान आंदोलन का रूप ले सकता है।