
पार्वती जी की तपस्या की कथा
सावन के सोमवार (Sawan ke Somwar) हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस परंपरा के पीछे धार्मिक, पौराणिक और आध्यात्मिक कारण होते हैं। नीचे पूरी जानकारी दी गई है जिसे आप न्यूज़ लेख के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं:कब मनाया जाता है?
सावन मास, जो आमतौर पर जुलाई-अगस्त में पड़ता है, में हर सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इसे “सावन का सोमवार व्रत” कहा जाता है। 2025 में सावन 10 जुलाई से 8 अगस्त तक है और इस दौरान 4 सोमवार आते हैं।इसकी मान्यता और महत्व:
शिवजी को प्रिय मास:
सावन को भगवान शिव का सबसे प्रिय मास माना गया है। कहते हैं कि इस महीने में पृथ्वी पर शिव की विशेष कृपा बनी रहती है।
पार्वती जी की तपस्या की कथा:
पौराणिक मान्यता है कि माता पार्वती ने सावन के सोमवार को कठोर व्रत रखकर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए कुंवारी कन्याएं इस व्रत को अच्छे वर की कामना से करती हैं।
समुद्र मंथन से जुड़ा संदर्भ:
समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को जब शिवजी ने अपने गले में धारण किया, तो देवताओं ने सावन मास में जल अर्पित कर उन्हें शीतलता प्रदान की। तभी से इस महीने शिव को जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई
कैसे मनाते हैं सावन सोमवार?
भक्त उपवास रखते हैं, केवल फलाहार या एक समय का भोजन करते हैं।
शिव मंदिरों में जाकर जल, दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है।
शिवपुराण और शिव चालीसा का पाठ किया जाता है।
महिलाएं विशेष रूप से श्रृंगार करके शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
किसके लिए विशेष है यह व्रत?
कुंवारी कन्याएं: अच्छे पति की कामना से।
विवाहित महिलाएं: पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए।
पुरुष: शिव की कृपा और मनोकामना पूर्ति के लिए।
भक्तजन: मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना से।आजकल कैसा रहता है सावन सोमवार का माहौल?
देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
कांवड़ यात्रा भी सावन में होती है जिसमें शिव भक्त गंगाजल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
कई राज्यों में यह दिन स्थानीय अवकाश के रूप में भी मनाया जाता है।