
दिल्ली सियासत: एनडीए की राजनीति में चंद्रबाबू नायडू का दबदबा, नीतीश कुमार की निष्क्रियता पर सवाल
दिल्ली सियासत:
नई दिल्ली:
2024 के आम चुनावों के बाद केंद्र में बनी नरेंद्र मोदी सरकार की स्थिरता इस बार पूरी तरह भाजपा के पुराने और नए सहयोगियों पर निर्भर है। भाजपा को खुद 240 सीटें मिली हैं, जबकि बहुमत के लिए ज़रूरी आंकड़े को छूने के लिए उसे टीडीपी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) जैसी पार्टियों के समर्थन की जरूरत पड़ी। इन दोनों दलों की कुल 28 सीटें सरकार को निर्णायक बढ़त दिलाती हैं।
लेकिन एनडीए के भीतर ताकत और प्रभाव के संतुलन की बात करें तो चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के रवैये और परिणामों में ज़मीन-आसमान का फर्क नजर आता है।
नायडू की रणनीति: सौदेबाजी में माहिर, सहयोग के बदले भरपूर लाभ
चंद्रबाबू नायडू ने सत्ता में भागीदारी का पूरा राजनीतिक लाभ उठाया है। बीते एक वर्ष में आंध्र प्रदेश को केंद्र सरकार से दो लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं मिली हैं — ऊर्जा, बुनियादी ढांचा और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में। नायडू हर योजना के साथ दिल्ली आते हैं और मंज़ूरी के साथ लौटते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने राज्यसभा की दो सीटें भाजपा को सौंपकर राजनीतिक संतुलन भी साधा है।
नायडू ने न केवल केंद्र के साथ सद्भाव बनाए रखा है, बल्कि हाल ही में अपने करीबी अशोक गजपति राजू को गोवा का राज्यपाल बनवाकर राजनीतिक सौदेबाजी में अपनी कुशलता भी साबित की है।
नीतीश की चुप्पी: न सक्रियता, न मांग
इसके विपरीत नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के 12 सांसद केंद्र सरकार में अहम भूमिका में हैं, लेकिन बिहार को अब तक कोई बड़ा फायदा नहीं मिला है। नीतीश कुमार की तरफ से न तो कोई ठोस मांग सामने आई है और न ही कोई बड़ी योजना केंद्र को भेजी गई है।
प्रधानमंत्री के बिहार दौरे महज सीवरेज और जल-प्रबंधन परियोजनाओं की घोषणाओं तक सीमित हैं। नीतीश खुद भी सक्रिय राजनीति से दूर प्रतीत हो रहे हैं, जबकि उनके करीबी सहयोगी सत्ता में अपने व्यक्तिगत हितों में व्यस्त हैं।
एनडीए की एकजुटता में असमान संतुलन
जहाँ नायडू राजनीतिक बारगेनिंग में माहिर साबित हो रहे हैं, वहीं नीतीश कुमार की निष्क्रियता उनकी पार्टी की संभावनाओं पर असर डाल सकती है, खासकर आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में। यह स्थिति भाजपा के लिए भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि समर्थन समान है, लेकिन सहयोगियों की अपेक्षाएं और भागीदारी में भारी अंतर नजर आ रहा है।