
दक्षिणी हरियाणा में भाजपा की एकता को झटका: राव इंद्रजीत और राव नरबीर की
दक्षिणी हरियाणा में भाजपा की एकता को झटका: राव इंद्रजीत और राव नरबीर की राजनीतिक कुश्ती से विकास कार्य ठप
गुरुग्राम, 11 अगस्त — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देशभर में “एक रहोगे, सेफ रहोगे का नारा देकर एकता की बात करते हों, लेकिन उनकी ही पार्टी भाजपा के दो कद्दावर नेता इस मूल मंत्र को अपनाने के बजाय आपसी खींचतान में लगे हुए हैं। दक्षिणी हरियाणा में भाजपा के दो प्रमुख चेहरे — केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह — के बीच गहराता राजनीतिक तनाव न केवल पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि क्षेत्र के विकास कार्यों पर भी बड़ा असर डाल रहा है।
अरावली क्षेत्र में प्रस्तावित विश्व की सबसे बड़ी जंगल सफारी को मूर्त रूप देने के लिए वन एवं वन्यजीव मंत्री राव नरबीर सिंह ने केंद्रीय मंत्रियों संग की उच्चस्तरीय बैठकराजनीतिक खींचतान से विकास कार्य प्रभावित
जब भी दक्षिणी हरियाणा या गुरुग्राम में केंद्र सरकार का कोई बड़ा आयोजन होता है, तो राव इंद्रजीत सिंह को उसमें नजरअंदाज किया जाता है, भले ही आयोजन उनके संसदीय क्षेत्र में ही क्यों न हो। मंच से लेकर उद्घाटन पट्टों तक, उनके नाम का कहीं उल्लेख नहीं किया जाता। इसके चलते क्षेत्र की जनता के मन में असंतोष बढ़ रहा है।
वहीं, राव नरबीर सिंह भी केवल अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित रहना पसंद करते हैं। वे केंद्रीय मंत्री के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की भागीदारी से बचते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों नेता एक-दूसरे के क्षेत्र में दखल देना पसंद नहीं करते, जिससे विकास कार्यों पर सीधा असर पड़ता है।
जनता कर रही विरोध, हो रहे धरने-प्रदर्शन
रेवाड़ी जिले में तो स्थिति इतनी खराब हो गई कि वहाँ की पंचायतें केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ खुलेआम विरोध कर रही हैं। मंत्री जी ने वोट देने वाली पंचायतों से मुलाकात करने से भी इनकार कर दिया, जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया।
दूसरी ओर, गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र की जनता भी विकास न होने से नाराज़ है। लोग महसूस कर रहे हैं कि उनके सांसद और मंत्री बनने के बावजूद क्षेत्र को विकास के नाम पर कुछ खास नहीं मिला। मानेसर, पटौदी और अन्य क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की हालत बद से बदतर है — सड़कों की दुर्दशा है, स्कूली बच्चों को गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है।
अधिकारी उठा रहे राजनीतिक लड़ाई का फायदा
इन दोनों नेताओं की खींचतान का फायदा जिला प्रशासन के अधिकारी उठा रहे हैं। जब एक मंत्री किसी काम के लिए अधिकारी को फोन करता है, तो वह दूसरा मंत्री का नाम लेकर बात टाल देता है। इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की भारी कमी देखी जा रही है।
भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता भी प्रभावहीन
केंद्र में कैबिनेट मंत्री मनोहर लाल खट्टर (पूर्व मुख्यमंत्री) और भूपेंद्र यादव (जो गुरुग्राम के मूल निवासी हैं, लेकिन सांसद राजस्थान से हैं) का दक्षिणी हरियाणा में सक्रिय आना-जाना लगा रहता है, लेकिन इनके प्रभाव के बावजूद ज़मीनी स्तर पर विकास कार्यों में कोई ठोस बदलाव नहीं देखा जा रहा है।
दोषी कौन है — जनता या नेता?
दक्षिणी हरियाणा की जनता आज राजनीतिक द्वंद्व की वजह से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। भाजपा के अंदर की खींचतान न केवल एकता के संदेश को ध्वस्त कर रही है, बल्कि उस आम जनता को प्रभावित कर रही है जो विकास की आस में नेताओं को बार-बार चुनकर भेजती रही है।
सवाल यही उठता है कि:
दोषी कौन है — जनता या नेता?
क्या भाजपा नेतृत्व इस राजनीतिक कुश्ती को रोकेगा?
क्या दक्षिणी हरियाणा को विकास का हक मिलेगा?
जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते, तब तक दक्षिणी हरियाणा की जनता धरनों और प्रदर्शन के माध्यम से ही अपनी आवाज उठाती रहेगी।