
बदमाशों से ज्यादा उन्हें जहरीले जबड़ो से लग रहा है । स्कूल ,कॉलेज ,ऑफिस ,पार्क घर से निकलते समय लोगो को इस बात का डर सत्ता रहा है की कही पीछे से कोई जहरीला जबड़ा उनपर हमला न कर दे।
जहरीला जबड़ा है आदमखोर आवारा कुतो का।
गुरुग्राम 12 अगस्त , दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोग आजकल जहरीले जबड़े के डर के साये में जी रहे है , बदमाशों से ज्यादा उन्हें जहरीले जबड़ो से लग रहा है । स्कूल ,कॉलेज ,ऑफिस ,पार्क घर से निकलते समय लोगो को इस बात का डर सत्ता रहा है की कही पीछे से कोई जहरीला जबड़ा उन पर हमला न कर दे। और वो जहरीला जबड़ा है आदमखोर आवारा कुतो का।
बाधा डालेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
दरसल सुप्रीम कोर्ट ने 8 सप्ताह के भीतर आवारा कुत्तों को रिहायशी इलाकों से दूर शेल्टर होम में सिफत करने का आदेश दिया है। और यह भी कहा है की इस प्रक्रिया में कोई संगठन बाधा डालेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। यह आदेश कुत्तो के काटने के बढ़ते मामले रैबीज जैसी ख़तरनाक बीमारी से हो रही मौत के बिच आया है। कुछ लोग इस फैसले से ख़ुश है तो कुछ लोग कह रहे है की इसमें कुत्तो का kya दोष है पशु प्रेमी रवीना टंडन ने कहा कि बेघर कुत्तों की बढ़ती संख्या के लिए इन बेजुबान जानवरों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। उन्होंने कहा आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या के लिए इन बेचारे कुत्तों को दोषी ठहराना गलत है। अगर स्थानीय निकायों ने टीकाकरण और नसबंदी अभियान को ठीक से चलाया होता तो यह स्थिति नहीं आती। वहीं दिल्ली की रेखा सरकार में कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बताया है। मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिल्ली को रेबीज और बेसहारा पशुओं के भय से मुक्ति दिलाने का एक रास्ता दिखाता है।
आजकल आप लोग देखते होंगे की सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते है जिसमे आदमखोर कुत्ते बच्चे बुजुर्ग पर हमला कर देते है ,दिल्ली छोड़कर अगर हम मिलेनियम सिटी गुरुग्राम की बात करे तो जनवरी से लेकर अगस्त तक 20 हजार 2 सौ 53 डॉग बाइट के मामले आये है वर्ष-2016 में 4622 मामले 2017 में 5133 मामले -2022 में 3000 डाग बाइट के मामले सामने आये है। यानि सबसे ज्यादा इस साल डॉग बाइट के मामले सामने आये है। और यह मामले सिविल अस्पताल में रैबिज का टीका लगावाने के लिए आए लोगों के पंजीकरण पर आधारित है ,प्राइवेट अस्पताल के आकड़े हमारे पास नहीं है सोच सकते है की किस तर शहर में आवारा कुत्तो का आतंक बढ़ रहा है।
अगर कुत्ते के काटने के बाद समय पर से रैबीज इंजेक्शन नहीं मिला तो आप जानते है की ये बीमारी कितनी जानलेवा है ,कुछ विशेषज्ञ कहते है की रैबिज का असर कई बार वर्षो बाद भी देखा गया है , कुत्ते के लार में सूक्ष्म बैक्टीरिया होते है जो काटने के बाद शरीर के खून से मिल जाते हैं और धीरे धीरे इसका असर हमारी तंत्रिका तंत्र पर होने लगता है उसके बाद मरीज धीरे धीरे नियंत्रण खोने लगता है और समय पर इलाज न मिलने से मौत हो जाती है।