बड़ा सवाल: क्या अब रिश्ते वर्दी की चमक के नीचे दब जाएंगे? क्या पति की कुर्बानी का कोई मोल नहीं बचा? क्या सिस्टम सिर्फ एक पक्ष की सुनेगा?
किताबों से शुरू हुई मोहब्बत, एक फाइल में ‘डिलीट’ हो गई”
रिपोर्ट: पलवल, हरियाणा
शुरुआत: एक सपना, एक लाइब्रेरी, और दो दिल
हरियाणा के पलवल जिले के बड़ौली गांव का रहने वाला 26 वर्षीय पीतम साल 2021 में युवाओं के लिए एक लाइब्रेरी शुरू करता है। मकसद था—गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए एक शांत माहौल देना।
इसी लाइब्रेरी में उसकी मुलाकात होती है राजीव नगर की एक युवती से, जो दिल्ली पुलिस में भर्ती होना चाहती थी।
किताबों की अलमारी के बीच शुरू हुई दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदलती है। दोनों ने एक-दूसरे को जीवनसाथी चुनने का फैसला किया और जनवरी 2023 में आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली।
मोहब्बत से जिम्मेदारी तक: सपनों के लिए सब कुछ कुर्बान
शादी के बाद युवती ने अपने सपने—दिल्ली पुलिस में भर्ती होने की बात बताई।
पति पीतम ने उस सपने को खुद का सपना बना लिया।
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उसने अपनी जमीन बेच दी
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लाइब्रेरी बंद कर दी, किताबें तक बेच डालीं
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घर छोड़कर किराए पर रहने लगा
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पत्नी की कोचिंग, तैयारी, हर खर्चा खुद उठाया
पीतम:
“मैंने सोचा, मेरी पत्नी पुलिस बनेगी तो मेरा भी नाम होगा। मैंने जमीन बेच दी, लाइब्रेरी बेच दी, अपना सब कुछ छोड़ दिया। मैं चाहता था उसका सपना पूरा हो…“
2024: सपनों की उड़ान… और धोखे की शुरुआत
फरवरी 2024 में पत्नी की दिल्ली पुलिस में ट्रेनिंग शुरू होती है।
पीतम को लग रहा था कि उसकी मेहनत और कुर्बानी अब रंग लाएगी। लेकिन 2025 की शुरुआत में, जब ट्रेनिंग पूरी करके पत्नी वापस आई… तो सब कुछ बदल चुका था।
“वर्दी ने मोहब्बत को बेरोजगार कर दिया…”
धोखे का खुलासा: शादी का इंकार, फॉर्म में खुद को ‘अविवाहित’ बताया
पीतम का आरोप है कि जब वह पत्नी को ट्रेनिंग के बाद लेने उसके मायके गया तो ससुराल वालों ने साथ भेजने से मना कर दिया।
बाइट – पीतम:
“जब मैं लेने गया, तो ससुराल वालों ने कहा—अब वो यहीं रहेगी। मैंने पूछा क्यों? तो बोले—उसने तो नौकरी के फॉर्म में लिखा है कि वो अविवाहित है।“
पत्नी ने पुलिस वेरिफिकेशन फॉर्म में खुद को ‘अविवाहित’ दर्शाया था।
यानी, जिस इंसान ने उसके लिए अपनी ज़िंदगी कुर्बान की… उसे कागज़ों से ही मिटा दिया गया।
अब क्या चल रहा है: केस, कोर्ट और धमकियां
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पीतम ने सेक्शन 9 (HMA) के तहत कोर्ट में याचिका डाली है (वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना)
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केस की पहली सुनवाई फरवरी 2026 में तय हुई है
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दिल्ली पुलिस कमिश्नर से भी लिखित शिकायत की है
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सीएम विंडो, महिला आयोग, और मानव अधिकार आयोग तक गुहार लगाई है
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पीतम का दावा है कि उसे फोन पर धमकियां, पुलिसिया दबाव, और फर्जी केसों से डराया जा रहा है
पीतम (रोते हुए):
“मैं रात-रात भर सो नहीं पाता। कभी धमकी मिलती है, कभी केस की बात होती है। मैंने तो सब छोड़ दिया उसके लिए… लेकिन उसे अब सिर्फ नौकरी चाहिए, मैं नहीं।“
न्याय की लड़ाई में अकेला पड़ा पति
आज पीतम…
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घर से बेघर है
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लाइब्रेरी खो चुका है
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जमीन बिक चुकी है
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रिश्ता टूट चुका है
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और अब सिर्फ तारीख़ पर तारीख़ के सहारे जी रहा है
पंचलाइन:
“जिसने अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया… उसे एक सरकारी फॉर्म से ‘डिलीट’ कर दिया गया।”
बड़ा सवाल:
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क्या अब रिश्ते वर्दी की चमक के नीचे दब जाएंगे?
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क्या पति की कुर्बानी का कोई मोल नहीं बचा?
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क्या सिस्टम सिर्फ एक पक्ष की सुनेगा?
यह सिर्फ पीतम की कहानी नहीं है…
ये हर उस पति की कहानी है जो अपने साथी के लिए सपनों की सीढ़ी बनता है… लेकिन जब मंज़िल आती है, तो उसे पीछे छोड़ दिया जाता है।

