कुलदीप शर्मा तो हूड्डा से कभी के नाराज चल रहे है। वो लोकसभा चुनाव में करनाल से अपने बेटे का टिकट मांग रहे थे, लेकिन हूड्डा ने युवा कांग्रेस के अध्यक्ष दीपांशु बुद्दीराजा को टिकट देकर पंजाबी कार्ड खेला था। उसके बाद गन्नौर विधानसभा से चुनाव में मिली हार के लिए भी कुलदीप शर्मा हुड्डा को जिम्मेवार मान रहे है। क्योंकि वहाँ पर जाट मतदाता कांग्रेस के साथ ना होकर निर्दलीय देवेंद्र कादीयान के पक्ष में थे।
पूर्व मुख्यमंत्री हूड्डा को कुमारी शैलजा ने सेंध लगाकर करारा झटका
कुलदीप शर्मा तो हूड्डा से कभी के नाराज चल रहे है।
नई दिल्ली 9 सितंबर 2025। कुलदीप शर्मा, राकेश कम्बोज, सुमिता सिंह, ललित बुटाना, रघुबीर संधु, जयपाल मान इन सभी नेताओं को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हूड्डा का समर्थक माना जाता है।
हैरान करने वाली बात यह है कि, करनाल जिले के ये सभी नेता कुमारी शैलजा के स्वागत समारोह में शामिल थे।
पूर्व मुख्यमंत्री हूड्डा की विरोधी कुमारी शैलजा ने उनके खेमे में सेंध लगाकर उनको करारा झटका दिया है।
कुलदीप शर्मा तो हूड्डा से कभी के नाराज चल रहे है। वो लोकसभा चुनाव में करनाल से अपने बेटे का टिकट मांग रहे थे, लेकिन हूड्डा ने युवा कांग्रेस के अध्यक्ष दीपांशु बुद्दीराजा को टिकट देकर पंजाबी कार्ड खेला था। उसके बाद गन्नौर विधानसभा से चुनाव में मिली हार के लिए भी कुलदीप शर्मा हुड्डा को जिम्मेवार मान रहे है। क्योंकि वहाँ पर जाट मतदाता कांग्रेस के साथ ना होकर निर्दलीय देवेंद्र कादीयान के पक्ष में थे।
वही सुमिता सिंह को करनाल से, राकेश कम्बोज को इंद्री से टिकट दिलाने वाले हुड्डा ही थे। ऐसे में इन नेताओं का कुमारी शैलजा को समर्थन देना कही ना कही कांग्रेस की राजनीति में बदलाव के संकेत दे रहा है।
हुड्डा इस समय 77 वर्ष के है। अगले विधानसभा चुनाव तक वो 81 के हो जाएंगे। बहुत ज्यादा दवाब की राजनीति करने के बाद भी कांग्रेस ने उन्हे विधायक दल का नेता नही बनाया है। और ना ही वो अपने बेटे को प्रदेश अध्यक्ष बनवा पा रहे है। ऐसे मे अब कांग्रेस के हुड्डा समर्थक नेताओ को यह लगने लगा है, कि हुड्डा साहब का अब कांग्रेस में कुछ नही बटने वाला। क्योंकि अगले चुनाव तक हुड्डा साहब की उम्र मुख्यमंत्री बनने लायक नही रहेगी और उनके बेटे को कांग्रेस अभी मुख्यमंत्री के लायक नही मानती।
हैरानी नही होगी कि अगर हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष नही बनाया गया तो उनके समर्थक विधायक भी पाला बदल उस खेमे मे चले जाएंगे जिस खेमे से विपक्ष का नेता और प्रदेश अध्यक्ष बनेगा।
