
क्या नेपाल अब लोकतंत्र से निकलकर सेना की चौकसी में जाएगा ? असली वजह है बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई।
क्या नेपाल अब लोकतंत्र से निकलकर सेना की चौकसी में जाएगा ?
असली वजह है बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई।
काठमांडू नेपाल 10सितंबर। नेपाल की सत्ता कौन संभालेगा ,अमेरिका या चीन ! नेपाल वो देश जो भगवान बुद्ध की धरती है, आज वही नेपाल आग की लपटों में है। संसद जल चुकी है, प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दे दिया है और अब सबसे बड़ा सवाल ये है—नेपाल का भविष्य कौन लिखेगा? के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफा के बाद जनता पूछ रही है? क्या वो देश छोड़ देंगे? क्योंकि संसद जली, उनका निवास जला और अब उनके पास विकल्प ही नहीं बचा। जब किसी देश की संसद जलती है और प्रधानमंत्री इस्तीफा देते हैं तो वहां सेना आ जाती है। नेपाल में भी यही हुआ,काठमांडू एयरपोर्ट सेना के कब्जे में है जिसको देखते हुए लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे है की क्या नेपाल अब लोकतंत्र से निकलकर सेना की चौकसी में जाएगा ?
राजनीति भीड़ से नहीं, संसद से चलती है।
प्रदर्शन के दौरान 20 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इन मौतों ने इस आंदोलन को और खतरनाक बना दिया है। युवाओं के खून से ये आंदोलन और तेज हो रहा है। अब सवाल ये है—क्या एक मेयर प्रधानमंत्री बन सकता है? काठमांडू के मेयर बालेन शाह, 35 साल का नौजवान, एक इंजीनियर और रैपर। लोग उन्हें अगला प्रधानमंत्री मान रहे हैं लेकिन राजनीति भीड़ से नहीं, संसद से चलती है। क्या बालेन शाह उस भीड़ को वोट में बदल पाएंगे? नेपाल सरकार ने फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और X पर बैन लगा दिया। आज की Gen-Z पीढ़ी की जिंदगी इन्हीं पर चलती है। यानी सरकार ने सीधे-सीधे युवाओं की आवाज़ दबाने की कोशिश की और यही सबसे बड़ी गलती साबित हुई। लेकिन असली वजह सोशल मीडिया बैन नहीं है, असली वजह है बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई।
सेना सड़कों पर है और अब विकल्प तीन हैं
युवाओं के पास नौकरी नहीं है और नेताओं के पास समाधान नहीं है यानी सिस्टम पूरी तरह फेल है। नेपाल छोटा देश है लेकिन अमेरिका और चीन दोनों के लिए ये स्ट्रैटेजिक लोकेशन है। ओली चीन के करीब थे और अमेरिका चाहता है कि नेपाल लोकतंत्र का चेहरा बने। यानी जो नेपाल की संसद में हो रहा है उसकी गूंज वॉशिंगटन और बीजिंग तक जा रही है। संसद जल चुकी है, प्रधानमंत्री इस्तीफ़ा दे चुके हैं, सेना सड़कों पर है और अब विकल्प तीन हैं—युवा सत्ता संभालेंगे, सेना सत्ता संभालेगी या फिर नेपाल अमेरिका–चीन की शतरंज का मोहरा बनेगा। नेपाल का संकट सिर्फ़ नेपाल का संकट नहीं है, ये उस पूरी दुनिया के लिए सबक है जहाँ युवा बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ उठ खड़े होते हैं। नेपाल का आग से गुजरना तय है लेकिन ये आग लोकतंत्र की लौ बनेगी या अराजकता की राख, ये फैसला आने वाला समय करेगा।