
गुरुग्राम / दिल्ली, 23 सितंबर 2025 — दिल्ली-वासी दिलीप कुमार मेहता की हत्या के मामले में अदालत ने आज दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। आरोप है कि उन्होंने मेहता का अपहरण कर ₹15 लाख की फिरौती मांगी थी, लेकिन जब उन्हें सिर्फ ₹9 लाख मिले, तब भी उन्होंने मेहता की हत्या कर दी। आरोपियों के नाम हैं कृष्ण कुमार और असीम बनर्जी। अदालत ने लूट, हत्या और अन्य आपराधिक धाराओं के तहत कार्रवाई करते हुए निर्णय सुनाया है।
घटना का इतिहास और मामले की पृष्ठभूमि
- दिलीप कुमार मेहता दिल्ली के पंजाबी बाग, जे जे कॉलोनी के रहवासी थे।
- घटना तब हुई जब मेहता अपने भोजनालय (food joint) को चला रहे थे, जो कि रेवाड़ी में स्थित है।
- आरोपी कृष्ण कुमार (जो मूलतः रेवाड़ी के रहने वाले हैं, लेकिन असम में रह रहे थे) और असीम बनर्जी (कोकराझर, असम से) ने मेहता का अपहरण किया।
- उन्हें अपहरण के बाद ₹15 लाख की फिरौती की मांग की गई।
- मेहता के किसी मित्र ने ₹9 लाख जुटाए और आरोपियों को दिए गए, लेकिन इसके बावजूद आरोपियों ने मेहता की हत्या कर दी।
- मेहता का शव 23 सितंबर 2022 को गुरुग्राम के गुडाना-राजपुरा रोड पर पाया गया था।
न्यायालय का फैसला एवं सजा
- इस मामले की सुनवाई पाठौदी पुलिस थाने में FIR दर्ज होने के बाद हुई। जांच में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य जुटाए।
- जिले की सत्र न्यायालय (Additional District and Sessions Court, गुरुग्राम) ने दोनों आरोपियों — कृष्ण कुमार व असीम बनर्जी — को दोषी करार देते हुए उन्हें जीवन-कैद की सजा सुनाई है।
- इसके अतिरिक्त, अदालत ने हत्या (धारा 302), अपहरण-लूट (sections relevant लूट/अपहरण), और बदनीयती से हत्या के बाद शरीर छिपाने (evidence-tampering/destruction) जैसी धाराओं के अंतर्गत जुर्माना भी लगाया है।
- जुर्माना की राशि: न्यायालय ने हत्या और दोषी सिद्ध होने पर आरोपियों से प्रायः ₹30,000 की जुर्माना राशि के साथ कुछ अन्य धाराओं के तहत अलग-अलग दंड भी निर्धारित किया है।
घटना की बारीकियाँ
- रिपोर्टों के अनुसार, आरोपियों ने घटना से कुछ दिन पहले भोजनालय और मेहता की दिनचर्या की जानकारी जुटाई थी, कि किस समय वह अकेले होंगे, किस मार्ग से जाते-आएँगे, आदि
- अपहरण के बाद, आरोपियों ने मेहता को एक जगह बंद कर दिया और फिरौती की डिमांड की। पहली किश्त (फिरौती राशि) में ₹9 लाख एक मित्र के माध्यम से प्रदान किए गए।
- आरोप है कि आरोपियों ने पूरी राशि न मिलने के बावजूद, मेहता को मार डाला। हत्यास्थल के आसपास एक चाकू मिला। शव गुडाना-राजपुरा रोड पर एक गाँव सरपंच ने देखा।
महत्व और सामाजिक असर
- यह मामला इसलिए भी दिलचस्प और स्पष्ट है क्योंकि यह दर्शाता है कि लूट-और-हत्या की संगठित साजिश किस तरह की जाती है, कैसे फिरौती की डिमांड और धन की प्राप्ति हुई, फिर भी हत्या कर देना दोषियों की क्रूरता को दर्शाता है। न्याय प्रणाली का यह फैसला आम जनता को यह संदेश देता है कि ऐसी संगीन अपराधों में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।घटना की गंभीरता इस बात से है कि आरोपी ने सिर्फ पैसों के लिए इंसान की जान ली, फिरौती मिलने के बावजूद हत्या की योजना पूरी की।
- परिवारों और पीड़ितों के लिए न्याय की यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण है — वर्ष-भर की इंतजार और कानूनी हिचकिचाहट के बाद अदालत ने दोषियों को सजा दी है।
समयरेखा
तारीख | घटना/कार्रवाई |
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16 सितंबर 2022 | दिलीप कुमार मेहता का अपहरण किया गया। |
कुछ समय बाद | ₹15 लाख की मांग की गई, उसके बाद ₹9 लाख की राशि एक मित्र के द्वारा जुटाई गई। |
23 सितंबर 2022 | मेहता का शव गुडाना-राजपुरा रोड पर मिला। |
आगामी समय | पुलिस जांच, आरोपी कृष्ण कुमार और असीम बनर्जी की गिरफ्तारी। |
22-23 सितंबर 2025 | अदालत ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। |
कानूनी धाराएँ और निर्णय
- दोषियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) के अंतर्गत दोषी ठहराया गया।
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इसके अलावा धारा 34 (संयुक्त अपराध), धारा 397 (डकैती-गिरोह और हथियार के साथ अपराध), तथा धारा 201 (प्रमाण छुपाने या बेईमानी से नष्ट करना) की धारा लागू की गई।
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सजा में जीवन-कैद के साथ-साथ अलग-अलग धाराओं के तहत जेल की अवधी और जुर्माने भी तय किए गए हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली-पंजाबी बाग निवासी दिलीप कुमार मेहता की हत्या की यह घटना शर्मनाक थी, जिसमें मानवीयता का कत्ल हुआ था। लेकिन न्यायालय ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं — अपराध चाहे कितना ही संगीन क्यों न हो, अपराधी को सजा मिलती है। कृष्ण कुमार और असीम बनर्जी को आजीवन कारावास की सजा सुनाना न सिर्फ मेहता के परिवार के लिए न्याय है, बल्कि समाज के लिए भी चेतावनी कि अपराध, अपहरण, फिरौती, हत्या — ये न्याय से बच नहीं सकते।