
25 september 2025/दिल्ली पुलिस ने सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया। हाँ, वही सोनम वांगचुक – लद्दाख के बच्चों के शिक्षक, पर्यावरण और समाज सुधार के लिए जाने-माने व्यक्ति, और ‘आइस स्टूपा’ बनाने वाले शख्स।लेकिन क्या आप सोच रहे हैं कि आखिर यह गिरफ्तारी क्यों हुई? क्या सोनम वांगचुक सच में कोई गलत काम कर रहे थे? या फिर यह सिर्फ आवाज़ दबाने की कोशिश है?सोनम की कहानी लद्दाख की ठंडी हवाओं में शुरू होती है। वह सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए सोचने वाला, बदलने वाला इंसान हैं। उन्होंने बच्चों को पढ़ाया, हिमालय में आइस स्टूपा बनाए और पर्यावरण संरक्षण के लिए अनगिनत प्रयास किए। लोग उन्हें “फुन्सुक वांगड़ू” के नाम से प्यार से जानते हैं।सितंबर 2025 में लद्दाख में राज्य का दर्जा मांगने के लिए प्रदर्शन हुए। शुरुआत में सब शांतिपूर्ण था, लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों ने हिंसा भड़काई। चार लोग मारे गए और कई घायल हुए। पुलिस ने कार्रवाई की।और तभी हुआ चौंकाने वाला कदम सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिया गया, अपने घर से 1000 किलोमीटर दूर।सरकार का कहना है – सोनम ने भड़काऊ बयान दिए और उनकी NGO का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
लेकिन सोनम कहते हैं हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग रख रहे थे। हिंसा से हमारी बात कमजोर नहीं होनी चाहिए। हम सिर्फ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।”अब सवाल उठता है क्या सोनम वांगचुक हीरो हैं, जिन्होंने बच्चों और समाज के लिए लड़ाई लड़ी?या विलेन हैं, जिन्होंने सिस्टम को चुनौती दी?सोनम की गिरफ्तारी सिर्फ एक कानून की कहानी नहीं है। यह लोकतंत्र, आवाज़ और न्याय के सवाल खड़े करती है। क्या आलोचना करना अब अपराध बन गया है? क्या सच बोलना खतरे में है?लद्दाख की ठंडी हवाओं में गूंजता यह सवाल अब हर भारतीय के कानों में गूंज रहा है
हीरो या विलेन… फैसला आप करें।