
10 October2025 /बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी के 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार का ऐलान कर अपनी पहली चाल से नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को उलझन में डाल दिया है। पीके ने टिकट बंटवारे में जातीय समीकरण का जो दांव खेला है ,उससे सभी पार्टियां उलझन में पड़ी है। प्रशांत किशोर ने सबसे बड़ा दांव अति पिछड़ी जाती और अगड़ी जाती पर खेला है जो कही न कही भाजपा के लिए टेंशन है , तो वही मुस्लिम इलाको में मुस्लिम नेताओ पर बड़ा दांव खेलते हुए प्रशांत किशोर ने महागठबंधन के सामने भी परेशानी खड़ी कर दी है।
जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रशांत किशोर ने अपनी पहली सूची में 51 उम्मीदवारों के नाम घोषित किये है ,8 मुस्लिम समाज ,7 अनुसूचित जाती ,और 8 सवर्ण जातियों के उम्मीदवारों को दिया है। जिसमे ब्राह्मण भूमिहार ,राजपूत कायस्थ शामिल है। इसी तरह प्रशांत किशोर ने सभी जातियों को ध्यान में रखते हुए टिकटों का वितरण किया है। बिहार में सबसे ज्यादा आबादी ईबीसी और ओबीसी की है जिसको ध्यान में रखते हुए पाइक ने सबसे ज्यादा टिकट इन्ही दो वर्गों को दिए है।इसके बाद अल्पसंख्यक और स्वर्ण जातियों पर भरोसा जताया है।
ईबीसी वर्ग की बात करे तो बिहार में करीब 36 प्रतिशत आबादी है। 2005 और 2020 तक हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाभी इसी वर्ग के पास रही है। और इसी वोट बैंक के कारण नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने है।और पीके ने यही सेंधमारी की है सबसे ज्यादा टिकट यही दिया है जिससे कही न कही नीतीश कुमार यानि एनडीए को इससे खतरा हो सकता है। वही मुस्लिम समाज को टिकट देकर पीके ने महागठबंधन को भी खतरे में डाल दिया है।