करीब 200 एकड़ जमीन छोटे-छोटे हिस्सों में अवैध कब्जे
मानेसर नगर निगम घोटाले की फाइल , हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो ने की थी छापामारी।
करोड़ों रुपए का घोटाला सरकार हाथ पैर हाथ धरे बैठी।
मानेसर गुरुग्राम 25 अक्टूबर।
गुरुग्राम जिले में दो नगर निगम और दोनों नगर निगम लगातार घोटाले की भेंट चढ़ते जा रहे हैं मानेसर नगर निगम का गठन 6 वर्ष से अधिक हो गया और गठन के कुछ महीने बाद ही हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से छापेमारी शुरू कर दी गई जिसमें करोड़ों रुपए के घोटाले की बदबू आ रही थी लेकिन फाइल कहां गई आसमान निकल गया जमीन में धस गई कुछ नहीं पता फिर तो क्या है मानेसर नगर निगम लगातार घोटाले पर घोटाले करता रहा और अखबारों की सुर्खियां बन गया। यहां तक की वरिष्ठ अधिकारियों ने भी मानेसर नगर निगम घोटाले को लेकर चिट्टियां जारी कर दी , प्रदेश सरकार को बता दिया की मानेसर नगर निगम में घोटाला हुआ है मगर हुआ कुछ नहीं जांच के नाम पर लीपापोती अखबारों की हेडलाइन बन गई कि मानेसर नगर निगम घोटाले की भेंट चढ़ गया मगर सरकार जिस पर मेहरबान होती है जिस पर कदर दान होती है चाहे वह कितना बड़ा घोटाला कर ले कुछ बिगड़ता वाला नहीं है।
निगम के बड़े अधिकारियों पर आरोप लगे की एक बड़े बिल्डर को सरकारी जमीन सौंप दी गई दूसरे अधिकारी ने उसे जमीन को अपने कब्जे में ले लिया लेकिन इसके बावजूद भी सरकारी जमीन पर नगर निगम की भूमि पर सैकड़ों एकड़ पर कब्जा बरकरार है खाली करने के नाम पर लीपा पोती की जाती है कार्रवाई तक नहीं हो पाती है और सबसे बड़ा घोटाला इस समय सड़कों पर लगने वाली रडी का सामने आ रहा है सरकारी जमीन पर रेडियो से मोटी रकम वसूली जा रही है जिसमें एक बार फिर नगर निगम मानेसर सुर्खियों में आ रहा है।
विश्वसनीय सूत्रों की माने नगर निगम की करीब 200 एकड़ जमीन छोटे-छोटे हिस्सों में अवैध कब्जे में ग्रामीणों में इस बात को लेकर गुस्सा है की नगर निगम के अधिकारी उन जमीनों पर जानबूझकर अवैध कब्जा कराते हैं इसके बदले मोटी रकम वसूलते हैं जिन पंचायत में करोड़ों रुपए विकास कार्यों के थे और वह नगर निगम के अंतर्गत आ गई आज उन गांव की हालत इतनी खराब है कि स्कूली बच्चे भी गंदे पानी से निकाल कर स्कूलों में जाते हैं यह मानेसर नगर निगम का विकास बताता है मानेसर गांव के रमेश यादव का कहना है कि गांव में हालात इतनी खराब है ना सफाई है ना सड़के हैं और हालात यहां तक है कि गांव में अवैध रूप से निगम के अधिकारियों की मिली भगत से अवैध होर्डिंग विज्ञापनों के लगे हुए हैं जिनके बदले मोटी रकम वसूली जाती है यह हालत नगर निगम के अंतर्गत आने वाले गांव की है शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं है कनेक्शन नहीं है दिखाने के लिए बनाए हुए हैं।
जब इस पूरे मामले में नगर निगम कमिश्नर मानेसर से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया इसलिए उनका सरकारी पक्ष नहीं रखा गया लेकिन वहीं दूसरी ओर गुरुग्राम नगर निगम भी भ्रष्टाचार में पीछे नहीं है वह मानेसर से आगे है लेकिन सब मिली भगत से चल रहा है मानेसर नगर निगम को गुरुग्राम नगर निगम में लगा दिया जाता है और गुरुग्राम के नगर निगम कमिश्नर को मानेसर नगर निगम में लगा दिया जाता है आपस में अदला-बदली होती रहती है कोई असर नहीं पड़ता क्या कितना ही भ्रष्टाचार क्यों ना हो।
