चंडीगढ़, 5 नवंबर
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि सात नवंबर को राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर पूरा देश इस गीत को गाएगा। भाजपा पूरे देश में राष्ट्रगीत की वर्षगांठ को धूमधाम से मनाएगी। उन्होंने कहा कि इस दौरान सरकारी, निजी स्कूल, कालेज, संस्थानों में भी राष्ट्र गीत को गाया जाएगा। धनखड़ ने कहा कि गुरुग्राम के लेजरवैली मैदान में भी राष्ट्रगीत का भव्य आयोजन होगा। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ बुधवार को गुरुग्राम स्थित भाजपा कार्यालय गुरुकमल में इस आयोजन को लेकर पत्रकारों से बात कर रहे थे।
राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि 14 अगस्त 1947 की रात को शुचेता कृपलानी ने नेहरू के भाषण से पहले भी यह गीत गाया। अगली सुबह यानी 15 अगस्त 1947 को 06ः30 बजे रेडियो पर इसका प्रसारण किया गया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के भारत का राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत ही सबसे पॉपुलर है। सात नवंबर को देशभर में गाए जाने वाले राष्ट्र गीत के शेड्यूल के बारे में बोलते हुए धनखड़ ने कहा कि पहला कार्यक्रम 150 स्थानों पर होगा और उनकी ड्यूटी भी 37 कार्यक्रमों की देखरेख के लिए लगी है।
ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में इंदिरा गांधी स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंदे मातरम गीत गाने के कार्यक्रम में शामिल होंगें। ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी दो कार्यक्रमों चंडीगढ़ सचिवालय और अंबाला में शिरकत करेंगें। प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ोली सोनीपत में और वे स्वयं गुरुग्राम के सेक्टर-29 स्थित लेजरवैली मैदान में भव्य कार्यक्रम में शामिल होंगें। देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री अपनी-अपनी राजधानियों में राष्ट्रगीत कार्यक्रम में शिरकत करेंगें। जयपुर में 50 हजार लोगों का कार्यक्रम होगा, उसमें यह गीत गाया जाएगा।
धनखड़ ने कहा कि आजादी की लड़ाई के स्थानों अंडेमान निकोबार, सेल्यूलर जेल, झांसी की रानी के शहादत स्थल पर भी गीत गाया जाएगा। यह कार्यक्रम रेजांगला के शहीदों, 1857 की क्रांति के वीरों को समर्पित होगा। उन्होंने कहा कि नई पीढिय़ों को इस गीत के माध्यम से इतिहास, प्रभाव, आजादी के आंदेलन में भूमिका को बताने का भी प्रयास है। हम सबको इसमें अपनी भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि मीडिया भी इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। आजाद भारत में उत्पन्न हुए लोगों तक इस गीत का इतिहास पहुंचाएं। धनखड़ ने कहा कि इस गीत के गायन के साथ ही देश में पद यात्राएं, साइकिल यात्राएं होंगी और यह एक बड़ा उत्सव की तरह होगा।
ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि भारत में वंदे मातरम लोकप्रिय शब्द ने आजादी की लड़ाई में वंदे मातरम गीत का अहम भूमिका रही। क्रांतिकारी वंदे मातरम बोलते हुए फांसी के फंदे पर झूले। वर्ष 1906 में इस गीत के गाने पर प्रतिबंध लगाया गया। वर्ष 1942 में ही इस गीत को गाने से रोका गया। उन्होंने कहा कि आजादी आंदोलन के समय नारे बहुत से बनाए गए, लेकिन वंदे मातरम सबसे ज्यादा प्रचलित हुए।
धनखड़ ने कहा कि वंदे मातरम गीत को 7 नवंबर 1876 को बंकिम चंद्र ने लिखा था। इसके 20 साल बाद वर्ष 1896 में रवींद्रनाथ ठाकुर ने इसे गाया था। वर्ष 1937 के बाद इस गीत के गायन पर ऐतराज शुरू हुआ। 24 नवंबर 1950 को यह राष्ट्रीय गीत बना और 1982 में यह आनंद मठ में उपन्यास का हिस्सा बनाया गया। इसके बाद वंदे मातरम से 6 अंतरे में से 4 अंतरे कम कर दिए गए और दो अंतरे ही गाये जाने लगे। धनखड़ ने कहा कि वंदे मातरम गीत में मां को देवी के रूप जो प्रदर्शित करते थे, उन अंतरों को ही हटा दिया गया। आज भी संसद, विधानसभाओं की शुरुआत इसी गीत से होती है।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश सचिव गार्गी कक्कड़, जिला अध्यक्ष सर्वप्रिय त्यागी, महामंत्री अजीत यादव, हरविंद कोहली, जिला मीडिया प्रभारी हितेश चौधरी, सहमीडिया प्रभारी राजन चौहान, मदन गोयल, नाथूपुर मंडल सचिव शक्ति सिंह समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
