हिमाचल प्रदेश, 16 दिसंबर 2025
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल अपने अंतिम चरण में है। इसी के साथ राजनीतिक गलियारों में एक अहम सवाल तेज़ी से चर्चा में है—
क्या जेपी नड्डा अब हिमाचल प्रदेश की सक्रिय राजनीति में वापसी करने जा रहे हैं?
दरअसल, हाल के दिनों में जेपी नड्डा के लगातार हिमाचल दौरे और वहां उनकी बढ़ती राजनीतिक सक्रियता ने इन अटकलों को और मजबूत कर दिया है। वे संगठनात्मक बैठकों में लगातार भाग ले रहे हैं, पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं और राज्य से जुड़े मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रख रहे हैं।
हिमाचल पर बढ़ता फोकस
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद पार्टी जेपी नड्डा को कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है, और हिमाचल प्रदेश इस लिहाज़ से एक मजबूत विकल्प बनकर उभर रहा है।
गौरतलब है कि जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से ही ताल्लुक रखते हैं और इससे पहले राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद नई रणनीति की तलाश
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को हाल के विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में पार्टी को राज्य में संगठन को दोबारा मजबूत करने और मौजूदा सरकार के खिलाफ एक प्रभावी रणनीति तैयार करने के लिए एक अनुभवी और भरोसेमंद नेतृत्व की जरूरत महसूस की जा रही है।
इसी संदर्भ में जेपी नड्डा का नाम सबसे आगे लिया जा रहा है।
नेताओं से मुलाकातें और सियासी संकेत
हाल ही में जेपी नड्डा ने हिमाचल के कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से मुलाकात की है। इन बैठकों को केवल शिष्टाचार भेंट नहीं माना जा रहा, बल्कि इन्हें भविष्य की राजनीतिक रणनीति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
पार्टी के अंदर यह चर्चा भी तेज़ है कि नड्डा को राज्य में संगठनात्मक या रणनीतिक नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
आधिकारिक घोषणा का इंतज़ार
हालांकि, बीजेपी की ओर से अब तक इस विषय पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। खुद जेपी नड्डा ने भी इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कुछ कहने से परहेज किया है।
लेकिन जिस तरह से उनके हिमाचल दौरे बढ़े हैं और स्थानीय राजनीति में उनकी सक्रिय मौजूदगी महसूस की जा रही है, उससे अटकलें लगातार तेज़ होती जा रही हैं।
क्या होंगे राजनीतिक मायने?
अगर जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हैं, तो इसका असर न सिर्फ राज्य की राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी बीजेपी की रणनीति को नई दिशा मिल सकती है।
अब बड़ा सवाल यही है—
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क्या जेपी नड्डा हिमाचल में बीजेपी का नया चेहरा बनेंगे?
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क्या पार्टी उन्हें राज्य की राजनीति की कमान सौंपेगी?
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या फिर उन्हें कोई और बड़ी राष्ट्रीय जिम्मेदारी मिलेगी?
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले समय में साफ़ होंगे।
लेकिन फिलहाल इतना तय है कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में जेपी नड्डा की सक्रियता ने सियासी हलचल जरूर बढ़ा दी है।
