- सिरसा की जवानी की नस-नस में नशा
- नशे की ओवरडोज से असामयिक मर रहे हैं नशेड़ी युवक
- मौत के चिंताजनक आंकड़ों के बाद संजीदा हुई सरकार
सिरसा,25 जून
मादक तस्करों को सफेदपोशों व नौकरशाहों के कथित सरंक्षण की बदौलत हरियाणा प्रदेश के पश्चिमी छोर पर बसा जिला सिरसा नशा तस्करी का हब बनकर रह गया है। करीब तीन दशक पहले प्रारभिंक दौर में बड़े जमींदार मजदूरों से खेतों में अधिक काम लेने के मकसद से डोडा पोस्त उपलब्ध करवाते थे। शनै:शनै: यह सब मजदूरों की आदत बना ओर फिर मजबूरी। नशा इस कदर बढ़ा की मजदूरों के साथ-साथ बड़े जमीदारों के लाडले भी इसे चखने लगे ओर आज हालात यह है कि युवाओं के लिए रोटी से बढ़कर नशा की मांग बढ़ गई। चिंताजनक बात यह भी है कि युवाओं के साथ-साथ युवतियों को भी नशा ने अपनी आगोश में ले लिया है। वर्षभर के दौरान सैंकड़ों युवक नशा के कारण असामायिक मौत चले गए हैं,जिससे काफी परिवारों का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बीते रविवार सिरसा आगमन के दौरान नशा तस्करी व उसके प्रभाव को मंच से सार्वजनिक तौर पर कबूल कर गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी विगत वर्ष गांव ओढ़ां में एक सभा के दौरान नशा की तस्करी व युवाओं की अकाल मौत को स्वीकार किया था मगर चिंता व हैरत की बात यह रही कि राज्य सरकार ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। आज सिरसा जिला नशा तस्करी में हरियाणा,पंजाब व राजस्थान के कुछ जिलों का सिरमौर है। नशा के कारोबार से धनकुबेर बनने की चाहत में महिलाएं भी नशा की तस्करी में संलिप्त हो गई हैं। सरकार ने अब सिरसा में विशेष एनडीपीएएस फास्ट ट्रेक कोर्ट स्थापित की है वहीं डबवाली को पुलिस जिला बनाने का ऐलान किया है।
सिरसा में अस्सी के दशक से लेकर वर्ष 2014 तक राजस्थान से लाकर डोडा पोस्त व अफीम की तस्करी होती रही। राजस्थान में वर्र्र्ष 2014 में डोडा पोस्त व अफीम के ठेके बंद होने के बाद नशे की पूर्ति के लिए मादक पदार्थ तस्करों के तार नाईजिरीया से जुड़ गए जहां से वाया दिल्ली हेरोइन,चिट्टा व सिंथेटिक ड्रग की सिरसा सप्लाई हो रही है। प्रदेशभर में सबसे ज्यादा एनडीपीएस के मुकदमें सिरसा के थानों में ही दर्ज हैं,यह बात दिगर है कि सलाखों के पीछे बड़ी मछलियों की बजाय नशेड़ी व कारिदें ज्यादा हैं। भौगोलिक लिहाज से त्रिवेणी यानि कि हरियाणा,पंजाब व राजस्थान की सरहद पर बसा होने से यहां के तस्कर राजस्थान के श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़,बीकानेर व पंजाब के बठिंडा,मुक्तसर,मानसा,फि रोजपुर,लुधियाना जिलों व केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ तक हेरोइन सहित अन्य नशे की सप्लाई देते हैं।
सूत्रों के अनुसार सिरसा में एक ग्राम हेरोइन की किमत 5 से 8 हजार रूपए है। एक नशेड़ी एक बार में दो हजार रूपए की डोज लेता है। नशा मंहगा होने के कारण यहीं से क्र ाईम कनैक्शन शुरू हो जाता है। चोरी,डकैती ,लूट,चैन स्नैचिंग,अपने भाई,बहन व अन्य सदस्यों से मारपीट व हत्या। नशेड़ी अपनी पूर्ति के लिए इसका कारोबार भी करते हैं। जिले के युवक व युवतियों की चिंताजनक संख्या नशे के उपयोग व तस्करी मेंं संलिप्त है। बीते वर्ष में सैंकड़ाभर युवा नशा की जकडऩ में आकर असामयिक मौत गले लगा चुके हैं। ऐसे उन्नीस युवकों की मौत का रिकार्ड विभिन्न थानों में दर्ज है जबकि सामाजिक लज्जा के मारे अनेक परिवार अपने खो चुके लालों का बगैर पोस्टमार्टम के ही संस्कार कर चुके हैं।
असामयिक मौत के बढ़ते आंकड़ों से आहत परिजनों के बढ़े दखल के बाद हजारों युवक-युवतियां नशा छोडऩा चाहते हैं मगर पर्याप्त मंच नहीं है। सिरसा के नागरिक अस्पताल में स्थापित किए गए नशा मुक्ति केंद्र में हर माह हजारों युवक-युवतियां नशा छोडऩे आ रहे हैं जिनमें करीब 20 फिसदी युवतियां व महिलाएं हैं। नशा मुक्ति कें्रद प्रभारी चिकित्सक पंकज शर्मा के अनुसार उनके पास मात्र दस बैड हैं जो नाकाफी हैं। पिछले चार माह में 10 हजार 815 युवक-युवतियां उनके पास नशा छोडऩे आएं हैं। फिलहाल 166 लोगों को इंडोर उपचार दिया जा रहा है। दूूसरा नशा मुक्ति केंद्र कालंावाली मंडी में है ,जहां 15 बैड हैं,वहां भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। हरियाणा सरकार अब इनकी संंख्या बढ़ाने की बात कह रही है। मुख्यमंत्री के उप प्रधान सचिव के.मकरंद पांडुरंग ने शुक्रवार को सिरसा पहुंचकर स्थानीय नागरिक अस्पताल स्थित नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण कर सुविधाओं की जानकारी ली वहीं नशा का उपचार ले रहे युवाओं से भी मुलाकात की। जिलाभर में दीवारों व बिजली के खंभों पर शिक्षा