- ज्योतिसर थीम पार्क में कंसल्टेंट हायर करने से लेकर टेंडर देने तक हर जगह भ्रष्टाचार हुआ: अनुराग ढांडा
- सरकार की कमेटी ने जिस काम को 48 करोड़ का बताया, सीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी ने उसे 64 करोड़ में मंजूरी: अनुराग ढांडा
- सीएस डायरेक्ट को इंटरव्यू के नंबर बढ़ा कर गलत तरीके से टेंडर दिया गया, इसकी जांच करे सरकार : अनुराग ढांडा
- चंडीगढ़, 27 जून,आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने मंगलवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता की। उन्होंने खट्टर सरकार की ओर से कुरुक्षेत्र में ज्योतिसर थीम पार्क प्रोजेक्ट में किए गए करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा किया। इस दौरान किसान नेता हरप्रीत सिंह (मैक्स साहूवाला), युवराज सिंह श्योकंद, गुरमीत सिंह और उदय प्रताप सिंह गिल ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की।
- सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने कहा कि खट्टर सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। खट्टर सरकार धर्म के नाम पर केवल राजनीति ही नहीं कर रही बल्कि करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार भी कर रही है। मामला ज्योतिसर में थीम पार्क बनाने को लेकर है, सीधा सीएम कार्यालय से इसके पेमेंट और टेंडर का दबाव है। उन्होंने कहा कि सीएम ऑफिस से जिन अधिकारियों की सिफारिशें हैं कि लागत बहुत ज्यादा है, प्रोजेक्ट सही नहीं है। उन सबको बाईपास किया जाता है और चिंता की बात यह है जिस कमेटी ने इस टेंडर को अलॉट किया उसके चेयरमैन खुद सीएम खट्टर थे।
- उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार ने ज्योतिसर थीम पार्क बनाने की बड़ी जोर शोर से बात की थी, इसके लिए कंसल्टेंट हॉयर किया गया था। 30 करोड़ का काम बताया और उसके लिए टेगबीन कंपनी के नाम की से कंसल्टेंट हॉयर किया गया। जिसके लिए एक रिक्वायरमेंट है कि कंपनी की 10 करोड़ रुपये वेल्यूएशन होनी चाहिए। 3 दिसंबर 2020 को टेगबीन को हायर किया गया, इसके बाद एक जुलाई 2020 में एक बैठक मिनी सचिवालय में हुई थी उसमें कंपनी के प्रतिनिधि बैठक में थे।
- अनुराग ढांडा ने कहा जब थीम पार्क का टेंडर निकाला, तब दो कंपनी आई थी। लेकिन, टेंडर टेगबीन कंपनी को दिया गया, जबकि दूसरी कंपनी को मार्क्स कम मिले थे। लेकिन एक ही काम के लिए दूसरीn कंपनी ने 1 करोड़ 18 लाख जबकि टेगबीन ने 41 लाख रुपये का कोट दिया था। तो मूल्य के आधार पर मार्क्स को बाइपास करके टेगबीन को सिस्टम के अंदर लाया गया। टेगबीन को 30 करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए हायर किया गया था, 10 करोड़ वेल्यूएशन से काम चल गया था। जब टेगबीन की रिपोर्ट आई तो यह प्रोजेक्ट 200 करोड़ रुपये का हो गया। काम की कंडीशन के अनुसार टेगबीन की 70 करोड़ वेल्यूएशन होनी चाहिए थी। ये पूरा का पूरा खेल किसी एक कंपनी को अंदर लाने के लिए किया गया था।