जब भी पंजाबियों ने सरकार में पद के लिए दबाव बनाया तो उनको संगठन में पद दिया गया, महिला मोर्चा की जिला प्रधान बन कर प्रिया के सामने आई संगठन खड़़ा करने की चुनौती, प्रदेश संगठन की सीधी लगी मोहर से बढ़ी प्रिया की जिम्मेदारी
- भिवानी,4 जुलाई : जिला भाजपा महिला मोर्चा की प्रधान बबीता तंवर के मोर्चा की प्रदेेश सचिव बनाने जाने के बाद से खाली हुए पद पर मोर्चा की सप्रदेश मीडिया प्रभारी प्रिया असीजा को महिला मोर्चा की जिला प्रधान की जिम्मेदारी सौंंपी है। असीजा पंजाबी संगठनों में माध्यम से समाजिक क्षेत्र में सक्रिए है। महिला मोर्चा की जिला प्रधान पद पाने के लिए कई सक्रिए महिला नेत्रियां दौड़ में थी। हालंकि कुछ सक्रिए महिला नेत्रियों को प्रदेश कार्यकारिणी में तो कुछ को जिला व खंड स्तर पर पद देकर समायोजित कर दिया गया। बावजूद इसके महिला मोर्चा की जिला प्रधान केे लिए जिला उप प्रधान बबीता सोनी, शकुंतला प्रधान, सोनिया अत्री, राजबाला श्योराण, मुकेश पहाड़ी, रवि तंवर, ममता देवसर दौड़ में मुख्य रूप से शामिल थी। हर कोई अपने स्तर पर पदे पाने के लिए प्रयास कर रहे थे। परन्तु चर्चाओं से दूर रह कर प्रिया असीजा जिला प्रधान का पद ले गई। प्रिया के महिला मोर्चा का जिला प्रधान बनते ही राजनीति में कई सवाल उभरने लगे। चर्चाकारों का कहना है कि भाजपा ने प्रिया असीजा के माध्यम से नाराज चल रहे पंजाबी वर्ग को साधने का प्रयास किया है। क्योकि नगर परिषद चुनाव में चेयरमैन पद के लिए अन्यों के अलावा पंजाबी महिलाएं भी दौड़ में थी। परन्तु भाजपा ने सभी सर्वे रिपोर्ट और जनमत को दर किनार करते हुए भाजपा के जिला महासचिव हर्षवर्धन मान की धर्मपत्नी को अपना प्रत्याशी बना दिया। इस टिकट वितरण से भाजपा का परम्परागत समझे जाने वाला वोट बैंक नाराज हो गया। परिणाम यह रहा कि भाजपा की प्रत्याशी चुनाव हार गई और निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति भवानी सिंह चुनाव जीत गई। इस चुनाव का उल्लेखित पहलु यह था कि भाजपा के विधायक घनश्याम सर्राफ ने पार्टी लाइन से हट कर प्रीति भवानी सिंह का समर्थन किया। नगर परिषद के चेयरमैन के चुनाव में कई पंजाबी नेताओं के आपसी सम्बंधों पर भी इसका असर पड़ा। इसके बाद से भिवानी का पंजाबी वर्ग ने भाजपा से थोड़ी दूरी बना ली थी। जबकि भिवानी विधानसभा क्षेत्र में करीब 13 प्रतिशत पंजाबी मतदाता हैं, जो किसी भी प्रत्याशी की जीत और हार में अहम भूमिका निभाते हैं। पंजाबी वोटर को भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। अब भाजपा ने भिवानी क्षेत्र के पंजाबी मतदतााओं को खुश करने को महिला मोर्चा के जिला प्रधान का पद पंजाबी महिला को दिया है। जबकि संगठन में पहले से ही कई महत्वपूर्ण पदों पर पंजाबी बैठे हुए हैं। भिवानी के तीन मंडलों में से दो मंडलों के प्रधान पंजाबी हैं। पता चला है कि जातीय समीकरण बनाने को भिवानी मंडल के प्रधान विनोद चावला ने पद छोडऩे की संगठन को पेशकश की थी। लेकिन संगठन के आला पदाधिकारियों ने विनोद चावला से मंडल प्रधान का पद वापिस लेने से मना कर दिया था। दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि भिवानी क्षेत्र के पंजाबियों को सरकार में लाभ के पद देने की बजाए संगठन में पद दे दिया जाता है। कहा जा रहा है कि जब भी पंजाबी वर्ग के नेता सरकार पर राजनैतिक पद के लिए दबाव बनाते हैं तो उनके किसी नेता को संगठन में पद दे दिया जाता है। भिवानी मार्केट कमेटी के चेयरमैन पद पर पंजाबी अपना दावा जता रहे हैं। पता चला है कि इसके लिए सरकार पर दबाव भी बनाया गया है। पर इसी के चलते प्रिया असीजा को संगठन में महत्वपूर्ण पद दे दिया गया। लेकिन इसके बावजूद भी पंजाबी वर्ग अभी पूरी तरह से भाजपा से संतुष्ठ नजर नहीं आ रहा है। जबकि लोकसभा चुनाव समीप आते जा रहे हैं और भाजपा सरकार व संगठन चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं। ऐसे में पंजाबी मतदाताओं की नाराजगी पार्टी के लिए एक सवाल अवश्य रहेगी। दूसरी ओर नव नियुक्त जिा प्रधान प्रिया असीजा के लिए पार्टी के लिए पंजाबी वर्ग को साधना भी एक बड़ी चुनौती होगा। सबसे पहले तो जिला स्तर पर महिला मोर्चा की पदाधिकारियों का चयन ही अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। संगठन तैयार करने के बाद पता चलेगा कि नव नियुक्त जिला प्रधान पार्टी के लिए कितना सार्थक रहेगी। वैसे भी प्रिया की जिम्मेदारी इस रूप में ओर भी बढ़ जाती है कि, जैसा कि बताया गया है कि उनकी नियुक्ति पार्टी के प्रदेश प्रधान ओम प्रकाश धनखड़ की सीधी स्वीकृति से हुई है। जबकि उनके पास शिकायतों का अम्बार लगा हुआ था। पद सभी तरह की शिकायतों को नजर अंदाज करते हुए प्रदेश प्रधान धनखड़ ने प्रिया असीजा की नियुक्ति की। जबकि उनके पास जिला इकाई की ओर से जिला प्रधान पद के लिए चार नाम भेजे गए थे। तो प्रदेश इकाई नेे प्रिया पर विश्वास जता कर उसकी जिममेदारी को ओर बढ़ा दिया है।