Sunday, September 22, 2024

सिरसा में पानी-पानी हो रहे हैं बाढ़ प्रबंधन के प्रशासनिक दावे

  • बढ़ते जलस्तर के आगे बेबस हुआ प्रशासनिक तंत्र
  • गांवों से ग्रामीण पलायन कर सुरक्षित जगह जाने लगे

सिरसा 16 जुलाई। हरियाणा के पश्चिमी छोर से गुजरती बरसाती नदी घग्घर ने अब अपना विकराल रूप दर्शाना शुरू कर दिया है। घग्घर नदी में पंजाब से हरियाणा के सिरसा में प्रवेश कर रहा 48 हजार क्यूसिक जल प्रवाह के आगे बाढ़ प्रबंधन को लेकर अब तक प्रशासनिक स्तर पर किए गए दावे पानी-पानी होते जा रहे हैं। बढ़ते जलस्तर के आगे प्रशासन को बेबस होते देखकर अब गावों से लोगों ने सुरक्षित स्थलों पर पलायन आरम्भ कर दिया है। अभी तक जिला प्रशासन की ओर से ऐसे लोगों के लिए कोई सेल्टर हाऊस नहीं बनाए गए हैं।
बीते दो रोज में घग्घर नदी में चार जगह कटाव आया । रंगा व चक थिराज के पास तो किसानों ने अपने स्तर पर काबू पा लिया , मगर बीती रात मुसाहिबवाला व पनिहारी के पास आए कटाव पर प्रशासनिक तंत्र तो फेल हो गया जबकि ग्रामीणों ने अपने स्तर पर प्रयास किये जो नाकाफी रहे। बीती रात से अब तक करीब दो हजार एकड़ में खड़ी फसल,सैंकड़ों टयूबवैल तो बाढ़ का पानी लील चुका है जबकि जल का बहाव का आगे बढऩा जारी है। गांव कर्मगढ़ के पास तो जल निकासी को लेकर ग्रामीण आमने सामने आ गए ओर सिरसा-चंडीगढ़ मार्ग पर जाम लगा दिया। रात को प्रशासनिक विफलता के बाद गांव फरवाई में आज सुबह घरों का सामान व मवेशी ट्रेक्टर ट्रों मं लादकर अन्यंत्र ले जाने शुरू कर दिए। 900 घरों की आबादी वाले गांव में दोपहर तक 350 के लगभग घर खाली हो चुके थे। ट्रेक्टर ट्राली में घर का सामान लाद रहे फरवाई के कृष्ण का कहना है कि 1988 से अब तक चोथी बार घर खाली कर गांव भरोखां में रिश्तेदारों में शरण लेने जा रहा हूं,शर्म तो बहुत आती है पर मजबूर हैं। परिवार में कुल चार सदस्य व दो भेंस हैं। मंदिर के समीप एक ओर ट्राली में सामान लाद रहे परिवार के कालू राम ने बताया कि परिवार में सात सदस्य हैं,भैंस,गाय भी है। बाढ़ में डूबने का खतरा पल पल सता रहा है। उसने बताया कि वे यहां से कुछ किलोमीटर दूर जाकर नहर या किसी सड़क के किनारे शरण लेंगे। इस परिवार की महिला ने कहा कि यहां के विधायक शीशपाल केहरवाला ने चुनाव से पहले गरीबों के भले के करने के खूब दावे किये थे मगर अब कोई उनकी ओर मुंह मोड़कर नहीं देख रहा। कमोबेश ऐसी ही व्यथा इसी गांव के राम प्रताप ने बताई ओर कहा कि बच्चे व पशु बचाने जरूरी हैं। वह भरोखां गांव में अपने रिश्तेदार के यहां शरण लेंगे। गांव के पूर्व सरपंच सुरजीत सिंह ने बताया कि शासन व प्रशासन के प्रबंध नाकाफी हैं,ग्रामीण बेबस होकर पलायन कर रहे हैं।इन दिनों में हर बार सुधार के आश्वासन सरकार की ओर से दिए जाते हैं मगर स्थिति वही ढाक के तीन पात जैसी रहती है।

गांव पनिहारी के गुरचरण सिंह ने बताया कि उनके गांव के पास बीती रात करीब दो बजे तटबंध टूट गया मगर कोई बांधने नहीं आया,तटबंध के कटाव को अकेले ग्रामवासियों द्वारा बांध पाना मुमकिन नहीं था। उनके गांव की करीब 250 एकड़ में खड़ी धान व हरा चारा पर पानी फिर गया है,उसके खेत में करीब नौ फुट पानी बह रहा है। तटबंध के दोनों ओर के गांवों में ग्रामीण दिन रात पहरा दे रहे हैं।
उधर,जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने एक प्रैसवार्ता आयोजित कर बताया कि घग्घर नदी में बह रहा 48 हजार क्यूसिक जल रिकार्डतोड़ है। जलस्तर अधिक होने के कारण मुसाहिब वाला व पनिहारी के पास टूटे तटबंध वे नहीं बांध पाए। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की दो टुकडिय़ां उन्हें मिली हैं जिन्हें जरूरतमंद तटों पर भेजा जाएगा। उन्होंने आज सुबह प्रभावित गावों का भ्रमण किया है। ग्राम पंचायतों व ग्रामीणों का सहयोग लिया जा रहा है। ग्राम पंचायतों व ग्रामीणों को बाढ़ प्रबंधन में सहयोग का कहा गया है,उन्हें प्रशासन की ओर से ट्रेक्टर आदि के लिए डीजल उपलब्ध करवाया जाएगा

घग्घर नदी में बाढ़ से पूर्व प्रबंधों पर कितना पैसा खर्च आया के सवाल पर उपायुक्त ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए बताया कि अब तक 12 लाख रूपए बाढ़ प्रबंधन के उन्हें मिले हैं,38 लाख ओर मंजूर हुए हैं। वहीं सिचांई विभाग अपने स्तर पर अलग से प्रबंधों पर व्यय कर रहा है। ग्रामीणों के पलायन करने का भी उन्हें मालूम नहीं था। पलायनकर्ताओं के लिए अब कोई सेफ हाऊस नहीं बनाए गए हैं। वहीं आज सांय गुहला चीका में 56322 क्यूसिक,चांदपुर 22490,सरदूलगढृ में 47550 व ओटू वीयर में 29300 क्यूसिक है जबकि राजस्थान की ओर 25350 क्यूसिक प्रवाहित हो रहा है।

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