- गुरुग्राम, 10 अगस्त : जिस प्रकार पशु चारा खाने के पश्चात निश्चिंत होकर एक जगह बैठकर जुगाली करता रहता है इस प्रकार देवस्थान तीर्थ क्षेत्र आदि का दर्शन करने के पश्चात मन में जो पवित्र भाव पैदा होते हैं उनका हमें चिंतन मनन करना चाहिए । यह उद्गार महामंडलेश्वर साध्वी आत्म चेतना गिरि जी महाराज ने यहां के अखंड परमधाम गुफा वाले शिव मंदिर आयोजित शिव महापुराण सप्ताह के दूसरे दिन अभिव्यक्त किया।
- उन्होंने कहा कि यदि आपको तैरना सीखना हो तो पहले काफी दिनों तक पानी में हाथ पैर पटकने पढ़ते हैं एक ही बार में तैरना नहीं आता इसी प्रकार यदि इस भवसागर से पार निकलना है तो प्रभु में अधिक से अधिक भक्ति भाव पैदा करें । भक्ति करें। एक बार में कभी कोई काम सरल नहीं होता। व्यास पीठ पर विराजित महामंडलेश्वर ने कहा की शिव पुराण जिसका पूर्व काल में भगवान शिव ने ही प्रवचन किया था यह काल रूपी सर्प से प्राप्त होने वाले महान त्रास का विनाश करने वाला सर्वोत्तम साधन है। शिव पुराण में भक्ति ज्ञान और वैराग्य इन तीनों का प्रीति पूर्वक वर्णन किया गया है । इस वर्तमान समय में भाव सागर से मुक्ति पाने का यह सबसे सरल पुराण है। इसके सुनने मात्र से व्यक्ति सब पापों से मुक्त हो जाता है और मनुष्य में भक्ति भाव पैदा होता है।
- उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक दीपक जलाने से हजारों वर्ष की अंधेरी कोठरी में भी तुरंत प्रकाश हो जाता है इस प्रकार ज्ञान का प्रकाश हृदय में जन्म-जन्मांतर के अंधकार को दूर कर देता है इसमें कोई संशय नहीं है। शिवमहापुराण में अनेक कथाओं व प्रसंगों से हमें समझाया गया है महामंडलेश्वर ने कहा कि भगवान शिव की भक्ति बहुत ही सरल है। वह तो मात्र जरा सी सेवा से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
- इस अवसर पर मुकेश सतीजा अंजू सतीजा केसर देव गुप्ता एवं उनकी पत्नी धर्मपाल गुप्ता एवं उनकी पत्नी सतपाल गुप्ता एवं उनकी पत्नी रमेश मुद्गल कृष्ण मुद्गल मनमोहन कोहली राजेंद्र गौतम यादव आशीष यादव कविता यादव टीकम शर्मा आदि अनेक गणमान्य लोगों ने कथा सुनी और कथा के अंत में शिव महापुराण और व्यास पीठ पर विराजित महामंडलेश्वर साध्वी आत्म चेतना गिरि जी महाराज की आरती उतारी।