- यमुनानगर,10 अगस्त : मेवात में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद आपसी भाईचारे में आई खटास को दूर करने के लिए अलग-अलग समुदाय के लोग आगे आ रहे हैं। विशेष समुदाय के लोगों की गांव में एंट्री बैन का फरमान सुनाने वाले सरपंच भी बैकफुट पर आने शुरू हो गए हैं। 2 गांवों के सरपंचों ने वीडियो जारी कर घोषणा कि वो अपने संदेश को वापस ले रहे हैं।
- 50 से ज्यादा पंचायतों ने लिखे थे पत्र
- बता दें कि 31 जुलाई को नूंह में हुए दंगों के बाद सबसे पहले महेन्द्रगढ़ जिले के अटेली कस्बा में 10 से ज्यादा गांवों के सरपंचों का लेटरहेड वाला पत्र वायरल हुआ था। इसमें विशेष समुदाय को गांव में नहीं घुसने देने की बात लिखी थी। ये पत्र SDM के नाम लिखे गए थे। इन सभी लेटर में हूबहू एक जैसी ही भाषा लिखी गई थी। 4 अगस्त को ये लेटर वायरल हुए और इसके बाद इसी तरह के हूबहू लेटर महेन्द्रगढ़ जिले की अन्य पंचायतों सहित रेवाड़ी, झज्जर जिले की करीब 50 से ज्यादा पंचायतों द्वारा लिख दिए गए।
- झज्जर की दोनों सरपंचों ने वापस लिया संदेश
- झज्जर जिले की बात करें तो गांव कबलाना की सरपंच उषा देवी और मुंडाखेड़ा सरपंच कविता ने वीडियो जारी कर कहा कि हर धर्म का सम्मान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम भी इसका सम्मान करते हैं। हमारा इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। हमारे गांव में हर धर्म के लोगों का स्वागत है। हमारे गांव में चोरी के मामले सामने आने के बाद केवल निवारक उपाय के रूप में भूलवश पंचायत के लेटर पेड पर किसी धर्म व क्षेत्र के बारे में लिखा गया। हम सर्वधर्म और सर्व समाज का सम्मान करते हैं।