गुरूग्राम,18 अगस्त.
गुरुग्राम में आए दिन घोटाले की खबरें आती ही रहती है। मगर आज एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने गुरुग्राम नगर निगम में हुए अरबों खरबों का महा घोटाले की फाइल गुम होने की जानकारी देकर एक बहुत बड़ा महा घोटाले से पर्दा उठाया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहरवासी जैनेंद्र जैन ने आरटीआई एक्ट 2005 के तहत 13 सितंबर 2022 को नगर निगम गुड़गांव के जनसूचना अधिकारी से गुरुग्राम के सदर बाजार व कमान सराय की जमीन प्रीवेंनसल गवर्नमेंट लैंड को नगर निगम के नाम चढ़ने के बारे में अधिकारियों से कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी तथा सत्यापित प्रति व फाइल निरीक्षण के बारे में आवेदन दिया था। जिस पर इंफोर्समेंट विंग के जन सूचना अधिकारी ने आधी अधूरी , भ्रामक आवेदन से संबंधित ही नहीं सूचना देकर अपना पल्ला झाड़ दिया था। वही ना तो आवेदक को फाइल ही दिखाई और ना ही फाइल में जो दस्तावेज थे उनकी सत्यापित प्रति उपलब्ध कराई गई। जिसकी प्रथम अपील भी आवेदक ने प्रथम अपील अधिकारी जॉइंट कमिश्नर 2 को की थी। जिस पर भी जन सूचना अधिकारी ने अपीलाथी को सूचना उपलब्ध नहीं कराई। आखिरकार आवेदक ने निराश होकर द्वितीय अपील आरटीआई एक्ट के तहत राज्य सूचना आयोग में दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त सत्यवीर सिंह फुलिया ने नगर निगम के जन सूचना अधिकारी संजोग शर्मा एसडीओ इंफोर्समेंट 2 को फाइल को तलाश कर सूचना सत्यापित प्रति आवेदक को उपलब्ध करने के लिए आदेश पारित किए थे। जिस पर जन सूचना अधिकारी ने फाइल न मिलने पर 24 जुलाई 2023 को पत्र क्रमांक 1433 थाना शहर पुलिस को भेज दी थी । जिस पर कार्रवाई करते हुए थाना शहर पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
शहरवासी आरटीआई एक्टिविस्ट जैनेंद्र जैन ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फाइल नंबर NT/152 दिनांक 06-05 – 2014 में तो समस्त सदर बाजार का एरिया आता है। जिसमें करीब 122 बीघा जमीन है। जिसकी अनुमानित कीमत आज के समय में अरबों की है। लेकिन एसडीओ संजोग ने पुलिस में केवल कीमत ₹20 बताईं है। वही इसमें काफी लोगों को 408 के तहत नगर निगम ने नोटिस भी जारी किए गए थे। उन नोटिस पर हुई कार्यवाही के बारे में भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। उनका कहना था कि इस फाइल को गुम कराने में कई वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। इससे पहले इस फ़ाइल की किसी ने सुध नहीं ली थी। जब आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तभी निगम अधिकारियों में इस फाइल को लेकर हड़कंप मच गया और जानबूझकर इस फाइल को गुम कर पुलिस में शिकायत दर्ज कर दी। वहीं पुलिस एफ आई आर का हवाला देकर राज्य सूचना आयोग को भी इसका पत्र आज एसडीओ ने भेज दिया है। इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर निगम गुरुग्राम में कब-कब क्या-क्या घपले हुए यह अगर आरटीआई नहीं लगाते तो इस फाइल का भी किसी को कुछ पता नहीं लगता। अब देखने वाली बात यह है कि इस बारे में निगम अधिकारी, डायरेक्टर अर्बन लोकल बॉडी व प्रदेश सरकार इस गुम हुई फाइल को लेकर कुछ संज्ञान लेती है या मामले को ऐसे ही रफा-दफा कर देती है। क्योंकि इसमें गुरुग्राम शहर में बनने वाली वाहन पार्किंग की योजनाओं की चिन्हित जमीनी भी आती है। वही शहर की मुख्य सदर बाजार सड़क पर हुए अवैध कब्जे और उनकी शिकायतों पर कार्यवाहियों की रिपोर्ट भी इसी फाइल में दर्ज है। वही आरटीआई एक्टिविस्ट जैनेंद्र जैन ने दबी जबान में बताया कि उनके ऊपर व्यवसाय निगम अधिकारियों और राजनेताओं का काफी दबाव भी आ रहा है कि इस मामले को आप छोड़ दें। वही उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई है।