Saturday, September 21, 2024

आयुष्मान भारत-प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है : अनिल विज

चंडीगढ़, 22 फरवरी 2024- हरियाणा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि आयुष्मान भारत-प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसे 23 सितम्बर, 2018 को माध्यमिक और तृतीयक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओ को समग्र रूप से संबोधित करने के लिए शुरू किया गया था। एबी- पी.एम.जे.ए.वाई पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा/आश्वासन योजना है, जिसका उद्देश्य 5 लाख रुपये प्रति हकदार लाभार्थी परिवार प्रति वर्ष स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है।

विज आज यहां हरियाणा विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान लगाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के संबंध में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि यह योजना पूरी तरह से कैशलेस, पेपरलेस, पारदर्शी, डिजिटल और आईटी संचालित है, जो कि पीएमजेएवाई दिशानिर्देशों के अनुसार हकदार लाभार्थियों को पूरे देश मे सभी सार्वजनिक और निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त इलाज देती है। हरियाणा में कुल 1164 (511 सार्वजनिक और 653 निजी) अस्पताल इस योजना के तहत सूचीबद्ध हैं। इस योजना के अंतर्गत लगभग 2,200 उपचार पैकेज जिसमें सर्जरी, चिकित्सा व डे केयर उपचार, दवाओं की लागत और निदान शामिल हैं। यहां पर यह उल्लेखनीय है कि परिवार के आकार और परिवार के सदस्यों की उम्र पर कोई सीमा नहीं है क्योंकि सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011 में शामिल वंचित परिवारों को पूरे देश में भारत सरकार द्वारा ऐ.बी- पी.एम.जे.वाई के हकदार लाभार्थियों के रूप में घोषित किया गया था, इसलिए हरियाणा में 9,25,028 ऐसे परिवारों के 28,89,287 व्यक्तियों को योजना के तहत लाभार्थियों के रूप में नामांकित किया गया था । ऐ.बी-पी.एम.जे.वाई के तहत लाभार्थियों पर किये गए व्यय के लिए भारत सरकार और हरियाणा सरकार के बीच लागत साँझाकरण 60:40 है ।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य देखभाल की पहुँच बढाने मे ऐ.बी-पी.एम.जे.वाई की विशाल क्षमता स्वीकार करते हुए, हरियाणा सरकार ने सभी अन्त्योदय परिवारों के लिए आयुष्मान भारत के कवरेज का विस्तार किया है। ऐसे ही, 21.11.2022 को शुरू की गयी चिरायु (अन्त्योदय इकाईयों का व्यापक स्वास्थ्य बीमा) योजना के तहत, प्रति वर्ष 1.80 लाख रुपये तक की नागरिक संसाधन सूचना विभाग (क्रिड) द्वारा सत्यापित पारिवारिक आय वाले सभी परिवारों को ऐ.बी-पी.एम.जे.वाई लाभों के लिए पात्र बनाया गया है। चिरायु के तहत अन्त्योदय परिवारों का पूरा खर्च हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इसके अलावा, 14.08.2023 से, चिरायु योजना के लाभ का विस्तार, 1500 रुपये के नाममात्र योगदान पर प्रति परिवार प्रति वर्ष उन परिवारों को दिया गया है जिनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से 3.00 लाख रुपये के बीच है। अब तक, 51,198 परिवारों ने इस योजना के तहत अपना नाममात्र योगदान जमा किया है और 2,969 लाभार्थियों ने 3.85 करोड़ रुपये के उपचार का लाभ उठाया है।

उन्होंने बताया कि कुल लाभार्थियों की संख्या (पात्र और नामांकित) निम्नानुसार प्रस्तुत की गई है:-एस.ई. सी.सी- 2011 + चिरायु (आय 1.80 लाख रुपये तक) कुल पात्र लाभार्थियों की संख्या 1,69,04,563, पहचान किये गये लाभार्थी 1,10,16,063 और नवंबर 2023 में ही 14,71,172 चिरायु परिवारों को कवर करते 57,35,312 व्यक्तियों चिरायु हुए को के लाभार्थियों में जोड़ा गया है। इसी प्रकार, चिरायु एक्सटेंशन आय (1.80 से 3.00 लाख रुपये) के बीच कुल पात्र लाभार्थियों की संख्या 1,59,899, पहचान किये गये लाभार्थी 95,075 है। इसके अलावा, आशा कार्यकर्ता कुल पात्र लाभार्थियों की संख्या 20,316, पहचान किये गये लाभार्थी 15,562 (चिरायु और चिरायु विस्तार के तहत पहले से ही पात्र हैं) और शेष 4,754 आशा कार्यकर्ताओं को अभी भी कवर किया जाना बाकी है और प्रक्रियाधीन है। एच.के. आर.एन.एल कर्मचारी कुल पात्र लाभार्थियों की संख्या 30,715, पहचान किये गये लाभार्थी 6,664 (चिरायु और चिरायु विस्तार के तहत पहले से ही पात्र है) और शेष 24,051 एच.के.आर.एन.एल कर्मचारियों को अभी भी कवर किया जाना बाकी है और प्रक्रियाधीन है।

उन्होंने बताया कि जारी किए गए कुल 1,11,11,138 आयुष्मान कार्डों में से, SECC- 2011 डेटा के आधार पर बने कुल 92,039 संदिग्ध कार्डों की पहचान की गई और उन्हें तुरंत निष्क्रिय कर दिया गया। दोषी संस्थाओं के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की गई। जिला गुरुग्राम, पलवल, महेंद्रगढ़, करनाल, यमुनानगर और पंचकुला में संदिग्ध कार्ड जारी करने के लिए पीएमएएम/सीएससी के खिलाफ कुल 7 एफआईआर और 1 पुलिस शिकायत दर्ज की गई थी। हरियाणा के पात्र लाभार्थियों का डाटा पीपीपी आईडी और आधार के साथ पूर्व एकीकृत है, जिससे लाभार्थियों को कार्ड बनाने के लिए केवल ई-के.वाई.सी की आवश्यक्ता होती है। नवंबर 2022 से चिरायु के लॉन्च के बाद, कार्ड बनाने के लिए पोर्टल पर कोई दस्तावेज़ अपलोड करने की आवश्यकता नहीं है । आयुष्मान चिरायु कार्ड लाभार्थी द्वारा स्वयं पंजीकरण मोड के माध्यम से https://beneficial.nha.gov.in/ पर और गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध “आयुष्मान ऐप” के माध्यम से बनाया जा सकता है। आयुष्मान-चिरायु कार्ड के लिए पंजीकृत सी एस सी/वी एल ई, सूचीबद्ध हस्पतालों में प्रधानमंत्री आयुष्मान मित्र (पी.एम्.ऐ. एम्) और आशा वर्कर के माध्यम से भी आवेदन किया जा सकता है ।

विज ने बताया कि यह योजना किसी भी बीमा कंपनी की भागीदारी के बिना ट्रस्ट मोड पर चल रही है। दावों को केवल आयुष्मान भारत हरियाणा स्वास्थ्य प्राधिकरण (एबी-एच.एच.पी.ए) में तैनात राज्य सरकार के डॉक्टरों द्वारा संसाधित किया जा रहा है और एन.एच.ए द्वारा विकसित पीएमजेएवाई पोर्टल के माध्यम से सीधे सूचीबद्ध अस्पतालों को एबी-एच.एच.पी.ए द्वारा अनुमोदित दावा राशि का भुगतान किया जाता है।मरीज के पंजीकरण से लेकर दावा भुगतान तक दावा प्रबंधन की पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है। अब तक 1672.53 करोड़ रुपये की राशि के 12,08,732 दावे पोर्टल पर प्रस्तुत किये गये है। इन प्रस्तुत दावों में से 1278.49 करोड़ के 9,93,413 दावों का भुगतान किया गया।

विज ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एन.एच.ए) ने ए.बी-पी.एम.जे.ए.वाई के भीतर अखंडता उल्लंघन को रोकने के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय धोखाधड़ी-रोधी ढांचा विकसित किया है। राज्य धोखाधड़ी रोधी इकाई (एस.ए.एफ.यू) अपने धोखाधड़ी का पता लगाने के उपायों से धोखाधड़ी का पता लगाती है और एन.एच.ए दिशानिर्देशों के अनुसार धोखेबाजों के खिलाफ समयबद्ध व कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करती है। राष्ट्रीय धोखाधड़ी रोधी इकाई (एन.ए.एफ.यू) ट्रिगर किए गए संदिग्ध मामलों को राज्य धोखाधड़ी रोधी इकाई एस.ए.एफ.यू को भेजती है। कुल 12,08,732 दावों में से 56,380 मामलों को एन.ए.एफ.यू द्वारा ट्रिगर किया गया और उन्हें संदिग्ध करार दिया गया, जो प्रस्तुत किए गए कुल दावों का 4.6 प्रतिशत है। संदिग्ध मामलों में से केवल 1,273 (कुल प्रस्तुत दावों का 0.10 प्रतिशत) धोखाधड़ी के मामले पाए गए हैं।

उन्होंने बताया कि पोर्टल के अनुसार, अब तक, लगभग 10 करोड़ रुपये के कुल 3124 दावे पंडित बीडीएस पीजीआईएमएस, रोहतक द्वारा जमा कराये गये हैं। इनमें से लगभग 7 करोड़ रुपये के 2526 दावों का भुगतान किया गया है । पं. बीडीएस पीजीआईएमएस, रोहतक के कुल दावों में से 31 दावे (0.9 प्रतिशत) संदिग्ध पाए गए । डेस्क ऑडिट के बाद 12 मामले ठीक पाए गए। शेष 19 संदिग्ध मामलों में से 1 दावा धोखाधड़ी का पाया गया और इस मामले के विरुद्ध कोई राशि का भुगतान नहीं किया गया। 2 मामले फील्ड जांच के लिए भेजे गए और 16 मामले डेस्क ऑडिटिंग की प्रक्रिया में हैं। एन.ए.एफ.यू दिशानिर्देशों के अनुसार, मृत्यु के 100 प्रतिशत मामलों का एस.एच.ए में डेस्क ऑडिट किया जाता है और पोर्टल के अनुसार पंडित. बीडीएस पीजीआईएमएस, रोहतक के 140 मौत के मामलों का डेस्क ऑडिट किया गया। रिकॉर्ड के अनुसार डेथ ऑडिट के दौरान कोई धोखाधड़ी नहीं पाई गई। मृत्यु के मामलों में दावों का भुगतान अस्पताल द्वारा पोर्टल पर अपलोड किए गए रिकॉर्ड यानी दस्तावेजों के अनुसार किया गया था।

उन्होंने बताया कि पूर्व दावे/उपचार के दौरान लाभार्थी को मृत दर्शाए जाने के संदर्भ में, एन.एच.ए ने ऐसी टिप्पणियों का उत्तर इस प्रकार दिया है “यह उल्लेख करना उचित है कि एनएचए दिशानिर्देशों के अनुसार, 6 महीने तक का शिशु माता-पिता कार्ड (माता/पिता) पर उपचार ले सकता है। यदि उपचार के दौरान किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो अस्पताल दावा शुरू करते समय मृत्यु विकल्प का चयन करता है और कार्ड स्वचालित रूप से अवरुद्ध हो जाता है। लेकिन भविष्य में यदि माता-पिता (माता/पिता) को उपचार की आवश्यकता होती है तो मृत्यु विकल्प को बैकएंड से वापस करना होगा और आगे के उपचार के लिए कार्ड सक्रिय करना होगा। एन.एच.ए दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रवेश के 3 दिन बाद मामला दर्ज किया जा सकता है और कभी-कभी पूर्व-प्राधिकरण शुरू होने से पहले ही मरीज की मृत्यु हो जाती है। ऐसे मामलों में लाभार्थी को कैशलेस उपचार प्रदान करने के लिए, पूर्व-प्राधिकरण तिथि मृत्यु तिथि या मृत्यु तिथि के बाद के समान हो सकती है। इसके अलावा उसी अस्पताल द्वारा मौत की भी सूचना दी गई है जो पूर्व-प्राधिकरण अनुरोध को बढ़ाता है, इस प्रकार, यदि अस्पताल का इरादा सिस्टम को धोखा देने का था, तो उसने आईटी सिस्टम पर मरीज को मृत घोषित करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई होती।”

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने बताया कि आज तक केवल 36 लाभार्थियों के कार्ड मृत्यु के बाद पुनः सक्रिय किए गए हैं क्योंकि इलाज के दौरान नवजात की मृत्यु हो गई थी और अस्पताल द्वारा मृत्यु मामले के रूप में चयनित मामले के कारण कार्ड को ब्लॉक कर दिया गया था। निदेशक, पीजीआईएमएस, रोहतक से पत्र संख्या एमजी/2024/2038 दिनांक 21.02.2024 के माध्यम से उत्तर प्राप्त हुआ को निम्नानुसार पुनः प्रस्तुत किया गया है:-“यह मान्य हरियाणा विधान सभा से प्राप्त मंजूर ध्यान आकर्षण प्रस्ताव संख्या 21 के संदर्भ में है, जो ईमेल दिनांक 20.02.2024 को fraudcontrolayushman@gmail.com से प्राप्त हुआ था, प. बी.डी. शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, रोहतक के कुलपति को भेजा गया और अधोहस्ताक्षरी को आगे भेजा गया। यहां उम्लेखनीय है कि ध्यान आकर्षण प्रस्ताव में उठाए गए सभी मुद्दे पीजीआईएमएस, रोहतक से संबंधित नहीं हैं और पीजीआईएमएस, रोहतक से संबंधित उतर निम्नलिखित है:- इस संबंध में उतर एसीएसएमईआर, हरियाणा सरकार, चंडीगढ़ को पत्र संख्या पी ए /डी आई आर /2023/937 दिनांक 26.08.2013 को भेजा गया था

उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी और राज्य स्वास्थ्य एजेंसी नियमित रूप से निगरानी करता है। मुख्यमंत्री की फ्लाइंग स्क्वाड ने पहले ही इस मामले में जांच की भी (पत्र संख्या 647/डी एस पी /सी एम एफ एस/आर दिनांक 08.05.2023)। सीएम फ्लाइंग स्क्वाड से इस योजना के तहत 28 रोगियों की जांच की थी, जिसमें से केवल 09 रोगी पंजीकृत पाए गए थे। इसके अलावा, भ्रष्टाचार विभाग (एसीबी) (शिकायत संख्या 6577/शिकायत/136/रोहतक / 2023 दिनांक 20.04.2023) डिप्टी कमिश्नर रोहतक अंतिम संख्या 1626/सीईवी दिनांक 23.08.2023 (शिकायत संख्या 2829071) और मेडिकल शिक्षा विभाग (डीएमईआर/प्रोक आई/2023/19691-92 दिनांक 23.11.23) ने भी इसी मुद्दे पर जांच की है। अष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सीएम फ्लाइंग स्क्वाड द्वारा पहले जांच की गई 09 रोगियों में से 03 मरीज़ो के रिकॉर्ड की जांच की। रोहतक डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से प्राप्त शिकायत के संदर्भ में एक समिति द्वारा जांच की गई थी, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सतर्कता अधिकारी, यूएचएस, रोहतक ने की थी।

विज ने बताया कि डीएमईआर से पत्र क्रमांक के माध्यम से उत्तर प्राप्त हुआ। क्लर्क-II/एडमिन- III/2024/एफ -08 न्यू/पीजीआईएमएस/2476 दिनांक 21.02.2024 को निम्नानुसार पुनः प्रस्तुत किया गया है:- “इस संबंध में, यह सूचित किया जाता है कि श्री ईश्वर सिंह से इस कार्यालय में एक शिकायत पीजीआईएमएस रोहतक में प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना में गरीब और कमजोर परिवार के सदस्यों के बहुमूल्य जीवन की कीमत पर चल रही लूट और भ्रष्टाचार के संबंध में प्राप्त हुई थी। इस संबंध में सरकार के आदेश दिनांक 28.09.2023 द्वारा अभिलेखों के परीक्षण हेतु एक समिति का गठन किया गया था। मामला वर्तमान में गठित समिति के साथ सक्रिय विचाराधीन है।”

उन्होंने बताया कि प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र योजना निर्बाध लाभ प्रदान करने के लिए अत्यंत आवशक है। एन.एच.ए के दिशानिर्देशों के अनुसारए योजना के तहत प्राप्त शिकायतों को पहले जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला शिकायत निवारण समिति (डीजीआरसी) द्वारा निपटाया जाता है। यदि एक या दोनों पक्ष डीजीआरसी के निर्णय से असंतुष्ट हैं तो डी.जी.आर.सी के निर्णय के खिलाफ अपील सीईओ ए.बी. एच.एच.पी.ए की अध्यक्षता में राज्य शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) के समक्ष की जाएगी।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने बताया कि रिकॉर्ड के अनुसार, पूर्व में महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा हरियाणा से ईमेल दिनांक 05/09/2022 के माध्यम से ऐ.बी. पी.एम.जे.ऐ.वाई योजना के तहत पंडित बीडीएस पीजीआईएमएस, रोहतक से संबंधित एक शिकायत प्राप्त हुई थी। यह शिकायत पूर्व में आयुष्मान लाभार्थी से पंडित बीडीएस पीजीआईएमएस, रोहतक द्वारा ऐ.बी. पी.एम.जे. ऐ.वाई के तहत पैसे वसूलने से संबंधित थी। इस मामले की जांच सिविल सर्जन रोहतक द्वारा की गई थी। सिविल सर्जन रोहतक की टिप्पणियों के अनुसार पंडित बीडीएस पीजीआईएमएस, रोहतक द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को अनुचित पाया गया था और शिकायत को आगे की जांच के लिए डीएमईआर कार्यालय में भेज दिया गया था व जांचाधीन है।

उन्होंने बताया कि पीजीआई रोहतक से संबंधित श्री सुमित कुमार की एक अन्य शिकायत जन संवाद पोर्टल पर पंजीकरण संख्या सी एम ओ एफ एफ/जे/2024/045242 दिनांक 03.02.2024 के माध्यम से लाभार्थी को योजना का लाभ नहीं देने के संबंध में प्राप्त हुई थी। मामले की जिला स्तर पर जांच चल रही है। यदि कोई अस्पताल दोषी पाया जाता है तो एनएचए दिशानिर्देशों के अनुसार दंड सहित उचित कार्रवाई की जाती है। लाभार्थी द्वारा अवैध नकद भुगतान के पहले अपराध में नोटिस प्राप्त होने के 7 दिनों के भीतर अस्पताल द्वारा राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (एस.एच.ए) को पूर्ण वापसी और अवैध भुगतान का 5 गुना तक जुर्माना देना होगा। इसके बाद एसएचए 7 दिनों के भीतर लाभार्थी को वास्तविक रूप से चार्ज किया गया पैसा हस्तांतरित कर देगा। दूसरे अपराध के मामले में पहले अपराध के लिए उल्लिखित कार्रवाइयों के अलावाए मामले के लिए दावा खारिज कर दिया जाता है और तीसरे अपराध में अस्पतालों को डी- इम्पैनलमेंट/ब्लैकलिस्ट किया जाता है।

विज ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत 12 लाख से अधिक दावों के मुकाबले लगभग 1.1 करोड़ नामांकन और 5 लाख से अधिक लाभार्थियों के ईलाज के साथ राज्य योजना के आदर्श वाक्य यानि ‘किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना’ के प्रति अपने सच्चे संकल्प को प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा है। कुल परिवारों और लाभार्थियों की संख्या (पात्र और नामांकित) इस प्रकार है:-कुल पात्र परिवार 45,13,916, कुल कवर किए गए परिवार (20.02.2024 तक) कुल पात्र लाभार्थी
35,55,923 (78.70प्रतिशत ), कुल पात्र लाभार्थी 1,70,64,462 और कुल कवर किए गए लाभार्थी (20.02.2024 तक) 1,11,11,138 (65.10 प्रतिशत ) है।

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