‘राम भक्त होना कोई पाप नहीं है’, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाएंगे कांग्रेस नेता निर्मल खत्री; राहुल गांधी को लेकर कही ये बात
अयोध्या 17 जनवरी 2024। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद डॉ. निर्मल खत्री ने मंगलवार को सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर अपने मन की बात साझा करते हुए प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए निमंत्रण को व्यक्तिगत बताते हुए स्वीकार किया है। उन्होंने प्रदेश के कांग्रेसियों को इवेंट की राजनीति को छोड़कर विरोधियों से वैचारिक धरातल पर लड़ने के लिए संगठन मजबूत करने की सलाह भी दी।
खत्री ने लिखा कि मैं इस कार्यक्रम में भाग लूंगा। कांग्रेस पार्टी का ऐसा कोई निर्देश नहीं है कि कोई कांग्रेसी इस कार्यक्रम में भाग न ले, सिर्फ हमारे सर्वोच्च नेताओं ने ही 22 के निमंत्रण में आने में असमर्थता व्यक्त की है। आगे लिखा कि अब तो प्रदेश कांग्रेस इकाई ने भी 15 तारीख को अयोध्या यात्रा, सरयू में डुबकी, दर्शन करके 22 तारीख के निमंत्रण को हर हाल में स्वीकार करने के लिए प्रेरित कर दिया है।
खत्री ने लिखा- राम भक्त होना कोई पाप नहीं है
खत्री ने आगे लिखा, राम भक्त होना कोई पाप नहीं है, मुझे इस भक्ति पर गर्व है और मुझे इस बात पर भी गर्व है कि मैं प्रभु राम की नगरी का निवासी हूं। मेरी जन्मस्थली व कर्मभूमि भी अयोध्या है। सभी धर्मों के लोगों को अपने इष्ट देव पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने वाल्मीकि रामायण की रामो विग्रहवान् धर्म: का ध्यान दिलाते हुए लिखा कि राम धर्म हैं और धर्म ही राम। महात्मा गांधी का राम, सनातन अजन्मा है, वह आत्मशक्ति का उपासक है, वह निर्बल का सहारा है, उसकी कसौटी प्रजा का सुख है। मैं धर्म के पाखंड का विरोधी, धर्म के सहारे राजनीतिक लाभ लेने के हथकंडे का विरोधी हूं।
राहुल गांधी को साहसी बताते हुए लिखी ये बात
उन्होंने राहुल गांधी को साहसी बताते हुए लिखा कि वह इस देश के लोगों की आवाज बनकर उनकी समस्याओं को उजागर करने और उन्हें यह विश्वास दिलाने कि राहुल गांधी उनके साथ खड़ा है, एक लंबी यात्रा पर मणिपुर से महाराष्ट्र के लिए निकले है। उन्होंने अपने प्रिय, निर्भीक, ईमानदार नेता को यात्रा की सफलता के लिए मंगलकामनाएं अर्पित कीं। लिखा, किसी भी दल या संगठन की विचारधारा से लड़ाई वैचारिक आधार पर अपने संगठन को मजबूत करके ही लड़ी जा सकती है न कि जवाबी।उन्होंने सलाह भरे शब्दों में लिखा कि इवेंट से इवेंट की लड़ाई में हम अपने प्रतिद्वंद्वी का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस नेताओं से एक सच्चा कांग्रेसी होने के नाते आग्रह किया कि इवेंट की राजनीति को छोड़कर हम अपने विरोधियों से वैचारिक धरातल पर अपने संगठन को मजबूत करके और उसके द्वारा जनमानस में भी अपनी भावना का प्रचार-प्रसार करके ही कर सकते है।
‘जो न समझे वह अनाड़ी है’
अंत में लिखा कि जो न समझे वह अनाड़ी है। नदी में सिर्फ डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त कर लेने की इच्छा रखने वालों के लिए उन्होंने कबीरदास के कथन का उल्लेख किया कि पानी में मीन पियासी, मोहे सुन सुन आवत हांशी। जल थल सागर खूब नहावे, भटकल फिरे उदासी। आत्मज्ञान बिना नर भटके…कोई मथुरा कोई काशी और अब अयोध्या जी। जैसे मृग नाभि कस्तूरी, वन वन फिरे उदासी।