Chemical Fertilizers News : अधिक उत्पादन के लालच में किसान अंधाधुंध खाद का प्रयोग कर जमीन को बंजर होने की कगार पर पहुंचा रहे
Chemical Fertilizers News : रासायनिक खादों का ज्यादा इस्तेमाल करने का असर अब खेती में दिखने लगा है। अधिक उत्पादन के लालच में किसान अंधाधुंध खाद का प्रयोग कर जमीन को बंजर होने की कगार पर पहुंचा रहे हैं। नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस जैसे महत्वपूर्ण तत्व तेजी से गायब हो रहे हैं।
पिछले कुछ सालों से रासायनिक खादों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है जिस कारण जैविक खाद का इस्तेमाल नाम मात्र कर रहे हैं। किसान दिवस व कार्यशालाओं में इस खतरे से किसानों को आगाह किया गया। फिर भी किसान खाद के प्रयोग में कमी नहीं ला रहे। इससे जमीन के नतीजे भी संतोषजनक नहीं आ रहे।
मृदा परीक्षण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनपद में उपजाऊ जमीन तेजी से बंजर होने की ओर बढ़ रही है। महत्वपूर्ण पोषक तत्व नदारद हो रहे हैं। सबसे खराब हालत बिसंडा ब्लाक की है। शोध सहायक ने बताया कि पिछले पांच साल में करीब 70 हजार नमूनों की जांच में मिट्टी में उर्वरता कम पाई गई है। डीएपी, यूरिया आदि रासायनिक खादों से खेतों की मिट्टी घटिया होती जा रही है। नाइट्रोजन और फास्फोरस औसत से काफी कम पाया गया है।
तत्वों की कमी से होने वाला नुकसान
नाइट्रोजन : इसकी कमी से पौधों का रंग पीला हो जाता है। पौधे बढ़ नहीं पाते। पीलेपन की शुरुआत अगले भाग से होती है। पौधों की लंबाई न बढने से अच्छी फसल और उत्पादन नहीं हो पाता। पर्याप्त नाइट्रोजन होने पर पौधों में उत्पादन शक्ति बढ़ जाती है। फल व अनाज के दाने मजबूत होते हैं।
फास्फोरस : इसकी कमी से पौधों की पत्तियां छोटी रह जाती हैं। रंग गुलाबी के साथ गहरा हरा हो जाता है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। पैदावार कम हो जाती है।
पोटेशियम : इस तत्व की कमी से पौधों की पत्तियों का रंग पीला व भूरा हो जाता है। बाहरी किनारे फट जाते हैं। मक्का व ज्वार फसल में यह लक्षण पत्तियों के अग्रभाग (अगले भाग) से शुरू होते हैं। पोटेशियम की कमी न होने पर पौध हरे-भरे रहते हैं। सूखने का खतरा नहीं रहता।
खेतों में आर्गेनिक (जैविक) खादों का इस्तेमाल नाम मात्र हो रहा है। ज्यादा उत्पादन के लालच में रासायनिक खादों का प्रयोग अत्यधिक किया जा रहा है। कार्बन और नाइट्रोजन का अनुपात सही न होने पर खेतों से जीवांश की मात्रा कम हो रही है। क्षार पैदा हो रहा है। इससे भूमि बंजर या ऊसर होने की कगार पर पहुंच रही है।