जिले में तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए डीसी अजय कुमार ने की समीक्षा बैठक राष्ट्रीय खाद्य तेल एवं तिलहन मिशन से किसानों को मिलेगा गुणवत्तापूर्ण बीज, प्रशिक्षण और विपणन सहायता
जिले में तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए डीसी अजय कुमार ने की समीक्षा बैठक
राष्ट्रीय खाद्य तेल एवं तिलहन मिशन से किसानों को मिलेगा गुणवत्तापूर्ण बीज, प्रशिक्षण और विपणन सहायता
कम से कम 500 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन, मूंगफली व सरसों की खेती को बढ़ावा दिया जाए-डीसी अजय कुमार
गुरुग्राम, 27 अक्टूबर- डीसी अजय कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आरंभ किया गया राष्ट्रीय खाद्य तेल एवं तिलहन मिशन देश को खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस योजना के माध्यम से किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज, प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और विपणन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
उन्होंने यह बात आज लघु सचिवालय में आयोजित जिला स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। बैठक में जिले में इस मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन, तिलहन उत्पादक समूहों के गठन, कृषक संगठनों की भागीदारी और किसानों तक सरकारी सहायता पहुँचाने की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की गई।
डीसी ने बताया कि केंद्र सरकार ने यह मिशन इस उद्देश्य से प्रारंभ किया है कि देश में खाद्य तेलों पर आयात निर्भरता कम हो और घरेलू स्तर पर तिलहन उत्पादन बढ़ाकर “आत्मनिर्भर भारत” के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। यह योजना वर्ष 2024-25 से 2030-31 तक सात वर्षों के लिए लागू रहेगी, जिसकी कुल लागत 10,103.38 करोड़ रुपये है (जिसमें केंद्र सरकार का अंश 7,481.67 करोड़ रुपये है)।
मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा जिला तिलहन मिशन और जिला कार्यकारी समिति का गठन किया गया है तथा आवश्यक अधिसूचना जारी की जा चुकी है। ये दोनों समितियां डीसी की अध्यक्षता में जिले में मिशन के संचालन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी निभाएँगी।
बैठक में डीसी ने कहा कि जिले में प्रमुख तिलहन फसलों — सोयाबीन, मूंगफली और सरसों — के लिए कम से कम 500 हेक्टेयर क्षेत्र तथा अन्य तिलहन फसलों — तिल, सूरजमुखी, नाइजर और करदी — के लिए 200 हेक्टेयर क्षेत्र का समूह बनाया जाए। प्रत्येक समूह में न्यूनतम 200 किसानों को जोड़ा जाए और उनका प्रबंधन कृषक उत्पादक संगठनों (एफ़पीओ), सहकारी समितियों अथवा योग्य संस्थाओं के माध्यम से किया जाए।
डीसी ने बताया कि जिला कार्यकारी समिति द्वारा योग्य संगठनों का चयन मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। चयनित संस्थाएं किसानों को बीज और अन्य कृषि सामग्री उपलब्ध कराने, खेत प्रदर्शन, विस्तार सहायता, विपणन सहयोग, प्रशिक्षण, रिपोर्ट तैयार करने तथा प्रगति की निगरानी जैसे कार्य करेंगी। इससे तिलहन उत्पादन में वृद्धि, किसानों की आय में सुधार और देश की खाद्य तेलों पर आयात निर्भरता में कमी लाने के उद्देश्य पूरे किए जा सकेंगे।
उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, उद्यान विभाग, सिंचाई विभाग तथा चयनित संस्थाओं के बीच घनिष्ठ समन्वय बनाकर कार्य किया जाए। डीसी ने यह भी कहा कि जिला स्तर पर नियमित समीक्षा की जाए, किसानों को तिलहन फसलों की ओर प्रोत्साहित किया जाए तथा निधियों और संसाधनों का पारदर्शी एवं समयबद्ध उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
मिशन के अंतर्गत प्रत्येक तिलहन समूह को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), राज्य कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विस्तार प्रशिक्षण संस्थान और राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान जैसी संस्थाओं को जोड़ा जाएगा।
इसके साथ ही कटाई उपरांत मूल्य संवर्धन के लिए कुल परियोजना लागत का 33 प्रतिशत या अधिकतम 9.90 लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी।
बैठक में डीडीए अनिल कुमार, एचएसडीसी से ललित, ए एम ओ ललित, बी ए ओ पवन यादव, बीएओ रामपाल एफपीओ मोहन सिंह, एफपीओ कुलदीप, एजीएम विनय, एलडीएम विनोद, डी एच ओ नेहा, एफपीओ राहुल एफपीओ राहुल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
