
भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया गया। जुलूस पहली बार 1914 में निकाला गया था
भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया गया।
जुलूस पहली बार 1914 में निकाला गया था
दिल्ली 6 सितंबर।
दोस्तों कल का दिन पूरे देश के लिए बेहद खास रहा क्योंकि ईद-ए-मिलादुन्नबी, यानी पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब का जन्मदिवस पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया गया। जश्न के इस मौके पर सिर्फ मुसलमान भाई ही नहीं, बल्कि हिन्दू, सिख और ईसाई समाज के लोग भी शामिल हुए और पेश की गंगा-जमुनी तहज़ीब की सबसे बड़ी मिसाल। सबसे पहले बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, जिन्होंने पूरे देशवासियों को ईद-ए-मिलादुन्नबी की बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा यह पावन दिन हमारे समाज में शांति और कल्याण लेकर आए।
14.5 किलोमीटर लंबा यह ऐतिहासिक जुलूस
करुणा, सेवा और न्याय के मूल्य हमें हमेशा मार्गदर्शन देते रहें। ईद मुबारक! अब आपको लिए चलते हैं उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर जहाँ इस मौके पर एशिया का सबसे बड़ा जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। दोस्तों, सोचिए करीब 14.5 किलोमीटर लंबा यह ऐतिहासिक जुलूस जिसमें पाँच लाख से भी ज़्यादा लोग शामिल हुए! यह जुलूस परेड ग्राउंड से शुरू होकर शहर के अलग-अलग हिस्सों से होता हुआ फूलबाग मैदान पहुँचा। खास बात ये रही कि इसमें सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि हिंदू, सिख और ईसाई भाईयों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और जगह-जगह स्वागत किया। इतिहास की बात करें तो यह जुलूस पहली बार 1914 में निकाला गया था जब अंग्रेज़ों के खिलाफ आंदोलन चल रहा था। तब से लेकर आज तक यह जुलूस हर साल सिर्फ धर्म ही नहीं बल्कि एकता और भाईचारे का संदेश देता आ रहा है। अब चलते हैं झाँसी यहाँ भी पैगंबर साहब के जन्मदिन पर जुलूस-ए-मोहम्मदी बड़ी धूमधाम से निकाला गया।
धर्मों के लोगों ने इसमें भाग लेकर भाईचारे का संदेश दिया।
मस्जिद से शुरू हुआ यह जुलूस शहर के कई इलाकों से गुज़रा और एक चौराहे पर जलसे के रूप में समाप्त हुआ। इस जुलूस में उलमाओं ने पैगंबर मोहम्मद साहब की जिंदगी और उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। लोगों ने नारे लगाए, जगह-जगह स्वागत हुआ और सभी धर्मों के लोगों ने इसमें भाग लेकर भाईचारे का संदेश दिया। साथ ही लंगर भी बांटा गया और अस्पतालों में फल वितरित किए गए। दोस्तों यह सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि हिंदुस्तान की उस अनोखी मिट्टी की पहचान है जहाँ हर धर्म, हर जाति मिलकर जश्न मनाते हैं।
हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की।
चाहे कानपुर हो, झाँसी हो या फिर देश के दूसरे हिस्से हर जगह मुस्लिम समाज ने ईद-ए-मिलादुन्नबी मनाया और हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की। लोगों ने दुआ मांगी कि देश में हमेशा अमन-चैन और भाईचारा बना रहे। तो दोस्तों ये तस्वीरें बताती हैं कि भारत सिर्फ एक देश नहीं बल्कि संस्कृतियों का संगम है। यही है हमारी ताकत यही है हमारी पहचान।