Saturday, September 21, 2024

Election 2024: बंगाल में भाजपा के लिए ट्रंप कार्ड बनेंगे जस्टिस गांगुली! चुनावी मैदान में तृणमूल को पेश करेंगे चुनौती

Election 2024: बंगाल में भाजपा के लिए ट्रंप कार्ड बनेंगे जस्टिस गांगुली! चुनावी मैदान में तृणमूल को पेश करेंगे चुनौती

कोलकाता 28 मार्च 2024। कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पद से त्याग पत्र देकर भाजपा में शामिल होने वाले जस्टिस अभिजीत गांगुली बंगाल में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनावी मैदान मैं चुनौती पेश करेंगे। भाजपा ने उन्हें बंगाल की तमलुक सीट से लोकसभा प्रत्याशी बनाया है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल की 42 में से 35 सीटें जीतने का जो लक्ष्य तय किया है, उसे साधने में वह अहम भूमिका निभा सकते हैं।

भाजपा को जस्टिस गांगुली के रूप में बंगाल में एक सशक्त चेहरा मिल गया है। जस्टिस गांगुली करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में अपने कड़े फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। अल्प समय में वह बंगाल की जनता के बीच लोकप्रिय हो गए। शिक्षक की नौकरी के लिए आंदोलन कर रहे लोग तो उन्हें आदर्श मानते हैं।

भ्रष्टाचार बनाम जस्टिस गांगुली कुछ सालों से बंगाल में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा रहा है, इसके बावजूद बीजेपी और अन्य पार्टियां न तो इस मुद्दे पर तृणमूल को ठीक से घेर पाईं और न ही चुनाव में इसका ज्यादा फायदा उठा पाईं|भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद तृणमूल 2021 के विधानसभा चुनाव में जीतकर तीसरी बार सत्ता पर काबिज हुई, लेकिन अब भ्रष्टाचार के खिलाफ जस्टिस गांगुली बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं।

ममता की बंगाली अस्मिता का जवाब

मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी पिछले कुछ चुनावों से ‘बंगाली अस्मिता’ को बड़ा मुद्य बनाती आई हैं। पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने इसी के बूते जीता था। भाजपा इसकी काट तलाश नहीं पा रही थी, लेकिन अब जस्टिस गांगुली के रूप में उसे इसका जवाब मिल गया है। जस्टिस गांगुली प्रभावी तरीके से बंगाली अस्मिता की बात रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल में जो भ्रष्टाचार हुए हैं, बंगाली होने के नाते उन्हें यह देखकर शर्म आती है।

आसान नहीं होगी राजनीति की राह

सियासी विश्लेषकों के एक वर्ग का कहना है कि राजनीति में जस्टिस गांगुली की राह आसान नहीं होने वाली है कारण, इस क्षेत्र में कुछ ‘बाध्यताएं’ हैं न्यायाधीश के रूप में जस्टिस गांगुली खुद को जितना स्वतंत्र महसूस कर रहे थे, राजनेता के तौर पर शायद न कर पाएं। इसकी बानगी भी देखने को मिल चुकी है, एक राजनेता के तौर पर जब उन्होंने एक न्यूज चैनल से बात की तो उन्होंने कुछ सवालों को टाल दिया, जबकि एक साल पहले जज रहते हुए जब उन्होंने उसी चैनल को इंटरव्यू दिया तो उन्होंने सभी सवालों का खुलकर जवाब दिया।

दूसरी तरफ, तृणमूल जस्टिस गांगुली के प्रति बेहद आक्रामक रुख अपना रही है जस्टिस गांगुली के त्याग-पत्र की घोषणा करके भाजपा में शामिल होने की बात कहने के साथ ही ममता बनर्जी की पार्टी ने उनपर हमला बोलना शुरू कर दिया था तृणमूल कांग्रेस जस्टिस गांगुली के न्यायाधीश रहते सुनाए गए विभिन्न फैसलों की निष्पक्षता पर अब सवाल उठा रही है। इतना ही नहीं, सत्ताधारी पार्टी इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाली है।

 

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