
गुरुग्राम के भीमनगर रामलीला मैदान में इस साल 72वीं रामलीला का भव्य आयोजन किया गया। विजयदशमी के मौके पर हजारों लोगों की मौजूदगी में रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया गया। “जय श्रीराम” के नारों से पूरा मैदान गूंज उठा और आतिशबाज़ी से आसमान जगमगा उठा।कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की आकर्षक झांकी से हुई। झांकी में दिखाया गया राम दरबार, सीता हरण, संजीवनी पर्वत और लंका विजय जैसे दृश्य दर्शकों को भावविभोर कर गए। मंच पर कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय से श्रीराम की मर्यादा, भक्त हनुमान की शक्ति और बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दिया।
72 वर्षों से लगातार आयोजित हो रही भीमनगर रामलीला अब गुरुग्राम की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है। आयोजकों ने बताया कि इस बार मंच और पुतलों की सजावट पर विशेष ध्यान दिया गया था। रावण मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले भी आकर्षण का केंद्र बने रहे।
जैसे ही भगवान श्रीराम ने रावण पर तीर चलाया, पूरा मैदान “जय श्रीराम” के जयघोषों से गूंज उठा। आतिशबाज़ी की चमक और धमाकों के बीच बुराई पर अच्छाई की जीत का यह क्षण हर किसी के लिए यादगार बन गया। बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग — सभी इस पल को अपने मोबाइल कैमरों में कैद करते दिखे।
रामलीला समिति ने बताया कि आयोजन की सफलता के लिए सैकड़ों राम भक्तो ने दिन-रात मेहनत की। वहीं, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन और पुलिस की ओर से कड़े इंतज़ाम किए गए थे।
कार्यक्रम के समापन पर लोगों ने एक-दूसरे को विजयदशमी की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यह पर्व हमें सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। देर रात तक भीमनगर में जयकारों और भक्ति गीतों की गूंज सुनाई देती रही।
72 वर्षों से चली आ रही यह परंपरा आज भी पूरे भक्ति भाव और जनसमर्पण के साथ जीवित है — जो गुरुग्राम की आस्था, एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन चुकी है।