मुंबई वानखेड़े स्टेडियम.
(15 नवम्बर ) को टीम इंडिया ने करोड़ों भारतीयों को तोहफा देते हुए सेमीफाइनल (1st SemiFinal) में न्यूजीलैंड (Ind vs Nz semifinal) को हराकर ग्यारह साल बाद विश्व कप के फाइनल में जगह बना ली. इससे पहले भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में साल 2011 में भारत में ही आयोजित हुए विश्व कप के फाइनल में प्रवेश किया था. इसके बाद साल 2015 और 2019 के संस्करण में भारत का सफर सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ सकता था. बहरहाल, अगर भारत इस बार न्यूजीलैंड से बदला लेते हुए फाइनल का टिकट हासिल करने में सफल रहा, तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बन गया एक टर्निंग प्वाइंट, जिसने मैच की पूरी दिशा-दशा ही बदल दी.
चिंता की लकीरें डाल दी थीं विलियमसन-मिचेल ने
जीत के लिए 398 रनों का पीछा करते हुए कीवी टीम ने 8 ओवर पूरा होने से पहले ही दो विकेट गंवा दिए थे, लेकिन इसके बाद शतकवीर डारेल मिशेल और कप्तान केन विलियमसन (69) ने मिलकर दर्शकदीर्घा में बैठे हजारों भारतीय फैंस के चेहरे का रंग उड़ा दिया. भारतीय खिलाड़ियों की शारीरिक भाषा पर असर पड़ना शुरू हो गया था. इन दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 181 रन की साझेदारी की, तो मैच पर कीवियों की पकड़ बनने लगी थी.
…और बड़े टर्निंग प्वाइंट ने बदली दी पूरी कहानी
करोडों भारतीयों को जिस मौके या बड़े टर्निंग प्वाइंट का इतंजार था, वह मोहम्मद शमी के फेंके पारी के 33वें ओवर में आया. और शमी ने 181 रन की साझेदारी पर जबर्दस्त वार करते हुए तीन गेंदों के भीतर दो विकेट चटकाकर ऐसा टर्निंग प्वाइंट बनाया कि न्यूजीलैंड यहां से हिलकर रह गया. एक छोर पर डारेल मिशेल बल्ला जरूर भांजते रहे, लेकिन शमी का कीवियों पर जड़ा कमर तोड़ वार इसके बाद भी जारी रहा. शमी ने मैच में सात विकेट लिए, लेकिन अगर मैच का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट रहा, तो वह 33वें ओवर में रहा, जिसने मैच पूरे की दिशा और दशा दोनों बदल दीं.