
नई दिल्ली : सरकारी तेल कंपनियों—इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL)—को सरकार से बड़ी राहत मिलने जा रही है। यह कदम उन कंपनियों के लिए अहम है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और गैस की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव के बावजूद देश में LPG और पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रखती हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस राहत पैकेज का उद्देश्य इन कंपनियों को वित्तीय मजबूती प्रदान करना है, ताकि वे महंगाई का दबाव जनता तक न पहुंचाएं। बीते कुछ वर्षों में वैश्विक बाजार में तेल और गैस की कीमतों में तेज वृद्धि देखी गई है, लेकिन इसके बावजूद भारत में पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस सिलेंडर के दाम लंबे समय तक स्थिर रखे गए।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति से एक ओर जहां आम उपभोक्ताओं को महंगाई से बचाव मिलता है, वहीं दूसरी ओर कंपनियों को नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलती है। अगर यह राहत न दी जाए, तो वैश्विक कीमतों के असर से देश में ईंधन के दाम अचानक बढ़ सकते हैं, जिससे महंगाई पर सीधा असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें सीधे तौर पर परिवहन, उद्योग और रोजमर्रा के खर्चों पर असर डालती हैं। ऐसे में सरकारी समर्थन न केवल कंपनियों के लिए फायदेमंद है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी स्थिरता का काम करता है।
ईंधन की कीमतें सिर्फ पेट्रोल पंप तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह परिवहन, उद्योग और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर भी असर डालती हैं। जब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं, तो माल भाड़ा महंगा होता है और इसका असर बाजार में सभी जरूरी चीज़ों की कीमतों पर पड़ता है। ऐसे में कंपनियों को मिला यह राहत पैकेज आम लोगों को महंगाई से बचाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के कदम देश की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। हालांकि, इसके साथ ही यह भी माना जा रहा है कि लगातार सरकारी सहयोग पर निर्भर रहना लंबे समय में कंपनियों के लिए चुनौती बन सकता है।