
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 :
आज देशभर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया जा रहा है। मान्यताओं के अनुसार, इस बार अष्टमी तिथि सूर्योदय से लेकर रात तक बनी हुई है। उदया तिथि में व्रत और पर्व मनाने की परंपरा के कारण मथुरा, वृंदावन, द्वारका, पुरी सहित देश के प्रमुख कृष्ण मंदिरों में आज ही जन्माष्टमी पर्व का आयोजन किया जा रहा है।
शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात के समय कारागार में हुआ था। इसलिए कृष्ण जन्मोत्सव हमेशा रात में मनाने की परंपरा रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जन्माष्टमी पर भगवान के जन्म का शुभ मुहूर्त रात 12:00 बजे से 12:48 बजे तक रहेगा। इस दौरान मंदिरों में विशेष झांकियां, भजन-कीर्तन और माखन-मिश्री का भोग लगाया जाएगा।
हालांकि, जिन श्रद्धालुओं के लिए रात में पूजा करना संभव नहीं है, वे दिनभर अष्टमी तिथि के दौरान किसी भी समय भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन उपवास, गीता पाठ और कृष्ण भक्ति करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। मथुरा, वृंदावन, द्वारका, पुरी और देशभर के प्रमुख कृष्ण मंदिरों को खूबसूरती से सजाया गया है। जगह-जगह झांकियां निकाली जा रही हैं, भक्त भजन-कीर्तन में डूबे हैं और राधा-कृष्ण के भजनों से वातावरण गूंज रहा है। मथुरा और वृंदावन में तो आज रात्रि बारह बजे विशेष आरती और जन्म उत्सव का आयोजन होगा। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि में कारागार में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी पर विशेष पूजा हमेशा रात में ही होती है।
जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त: रात 12:00 बजे से 12:48 बजे तक
इस दौरान मंदिरों में कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाएगा और भक्त माखन-मिश्री, पंचामृत और फलाहार का भोग लगाएंगे।
कई लोग रात में भगवान की पूजा नहीं कर पाते। ऐसे में ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि भक्त दिनभर अष्टमी तिथि के दौरान किसी भी समय कृष्ण पूजा कर सकते हैं। उपवास रखना, गीता पाठ करना और राधा-कृष्ण के भजन गाना भी शुभ फलदायी माना गया है।