Intermittent fasting : वजन घाटने, केलोस्ट्रोल और शुगर को कंट्रोल रखने के लिए देशभर मे कई तरह की फास्टिंग और डाइट होती है, पर क्या आप जानते है यही डाइट और फास्टिंग बन सकती है आपके लिए जानलेवा !
Intermittent fasting : वजन घाटने, केलोस्ट्रोल – शुगर को कण्ट्रोल रखने के लिए दुनिया भर मे कही तरह की फास्टिंग का चलन तेज़ी से बढ़ा है। बड़ी संख्या मे लोग इंटरमाते फास्टिंग का रुख कर रहे है। ये उपवास का ऐसा तरीका है जिसमे निश्चित समय के दौरान पौष्टिक चीज़ो का सेवन करना होता है।
रिपोट्स की माने तो वैसे तो इंटरमिदते फास्टिंग को कई प्रकार से लाभकारी माना जाता है। लेकिन, यदि आपको हदय रोग है और आप इस तरह के उपवास करते है तो ये जानलेवा जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है। वही स्वस्थ के विशेषज्ञों ने अलर्ट किया की खुद से ही किसी प्रकार की फास्टिंग ना शुरू करे। अपनी सेहत को ध्यान मे रखते हुए डॉक्टर की सलहा पर ही किसी उपवास विधि को अपनाना चाहिए।
ख़बर के मुताबिक, जिन लोगो को हदय से सम्बंद कोई समस्या है तो उनके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग करने का मतलब है की अपनी मृत्यु के खतरे को 91% तक बढ़ा देता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर किए गए अब तक के अध्ययनों के रिपोर्ट को देखे तो इसमें काफी विरोधाभासी प्रतीत होती है। पहले के शोध में कहा जाता था कि फास्टिंग का ये तरीका इंसुलिन संवेदनशीलता, सूजन, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल जैसे हृदय रोगों के कारकों को कम करने में लाभकारी है, हालांकि हाली मे आयी रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस तरह की फास्टिंग हृदय रोगों से मौत के जोखिमों को बढ़ा सकती है।
सम्मेलन में प्रस्तुत शोध पत्र के निष्कर्षों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पहले से ही कुछ प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार लोगों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान हो सकते हैं। अध्ययन के मुताबिक ये हृदय रोग या कैंसर से पीड़ित लोगों में हृदय संबंधी मृत्यु का जोखिम भी बढ़ाने वाली ही सकती है। हृदय रोग से पीड़ित लोगों में फास्टिंग का ये तरीका हार्ट अटैक या स्ट्रोक से मृत्यु का जोखिम 66% तक बढ़ाने वाली हो सकती है।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में चिकित्सा के प्रोफेसर और पोषण विशेषज्ञ क्रिस्टोफर गार्डनर पीएचडी कहते हैं कि ये निष्कर्ष समय से पहले और भ्रामक हैं। अध्ययन समूह में जिन लोगों को शामिल किया गया था उनमें पुरुषों, अफ्रीकी अमेरिकियों और धूम्रपान करने वालों की संख्या अधिक थी, जिनमें पहले से ही हृदय रोग और इससे मौत का खतरा अधिक देखा जाता रहा है।