Friday, October 11, 2024

Intermittent fasting : जानें कैसे आपके लिए जानलेवा हो सकती है Intermittent fasting ?

Intermittent fasting : वजन घाटने, केलोस्ट्रोल और शुगर को कंट्रोल रखने के लिए देशभर मे कई तरह की फास्टिंग और डाइट होती है, पर क्या आप जानते है यही डाइट और फास्टिंग बन सकती है आपके लिए जानलेवा !

Intermittent fasting : वजन घाटने, केलोस्ट्रोलशुगर को कण्ट्रोल रखने के लिए दुनिया भर मे कही तरह की फास्टिंग का चलन तेज़ी से बढ़ा है। बड़ी संख्या मे लोग इंटरमाते फास्टिंग का रुख कर रहे है। ये उपवास का ऐसा तरीका है जिसमे निश्चित समय के दौरान पौष्टिक चीज़ो का सेवन करना होता है।

Intermittent fasting

रिपोट्स की माने तो वैसे तो इंटरमिदते फास्टिंग को कई प्रकार से लाभकारी माना जाता है। लेकिन, यदि आपको हदय रोग है और आप इस तरह के उपवास करते है तो ये जानलेवा जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है। वही स्वस्थ के विशेषज्ञों ने अलर्ट किया की खुद से ही किसी प्रकार की फास्टिंग ना शुरू करे। अपनी सेहत को ध्यान मे रखते हुए डॉक्टर की सलहा पर ही किसी उपवास विधि को अपनाना चाहिए।

ख़बर के मुताबिक, जिन लोगो को हदय से सम्बंद कोई समस्या है तो उनके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग करने का मतलब है की अपनी मृत्यु के खतरे को 91% तक बढ़ा देता है।

Intermittent fasting

इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर किए गए अब तक के अध्ययनों के रिपोर्ट को देखे तो इसमें काफी विरोधाभासी प्रतीत होती है। पहले के शोध में कहा जाता था कि फास्टिंग का ये तरीका इंसुलिन संवेदनशीलता, सूजन, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल जैसे हृदय रोगों के कारकों को कम करने में लाभकारी है, हालांकि हाली मे आयी रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस तरह की फास्टिंग हृदय रोगों से मौत के जोखिमों को बढ़ा सकती है।

सम्मेलन में प्रस्तुत शोध पत्र के निष्कर्षों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पहले से ही कुछ प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार लोगों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान हो सकते हैं। अध्ययन के मुताबिक ये हृदय रोग या कैंसर से पीड़ित लोगों में हृदय संबंधी मृत्यु का जोखिम भी बढ़ाने वाली ही सकती है। हृदय रोग से पीड़ित लोगों में फास्टिंग का ये तरीका हार्ट अटैक या स्ट्रोक से मृत्यु का जोखिम 66% तक बढ़ाने वाली हो सकती है।

Intermittent fasting

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में चिकित्सा के प्रोफेसर और पोषण विशेषज्ञ क्रिस्टोफर गार्डनर पीएचडी कहते हैं कि ये निष्कर्ष समय से पहले और भ्रामक हैं। अध्ययन समूह में जिन लोगों को शामिल किया गया था उनमें पुरुषों, अफ्रीकी अमेरिकियों और धूम्रपान करने वालों की संख्या अधिक थी, जिनमें पहले से ही हृदय रोग और इससे मौत का खतरा अधिक देखा जाता रहा है।

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