राजधानी दिल्ली मे इस साल गर्मियों का एक अलग ही रूप देखने को मिल रहा है । मौसम का लगातार बढ़ता तापमान इंसान को शारीरिक रूप से तो बीमार कर ही रहा है साथ ही साथ इसका प्रभाव लोगो की मेन्टल हेल्थ पर भी दिख रहा है।
दरसल, गर्मी बढ़ने से सिर्फ हीट स्ट्रोक, डिहाइ्रेशन, दस्त, हार्ट अटैक जैसी परेशानियों का खतरा नहीं बढ़ता, बल्कि इस से स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन और पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के होने की भी संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। जानकारी के मुताबिक बढ़ते तापमान के चलते हार्मोन्स में भी कई तरह के बदलाव होते हैं, जिसका प्रभाव हमारे मूड पर सबसे ज्यादा होता है। इसी के चलते कही लोगो को मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियां देखने एवं झेलने को मिलती हैं।
बढ़ती गर्मी से दिमाग पर होने वाले असर
1. स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल
शरीर मे ज्यादा गर्मी में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल ( Stress hormone Cortisol ) का लेवल बढ़ जाता है। इंसान के शरीर मे इसका जरूरत से ज्यादा बढ़ना हानिकारक साबित होता है। यह एंग्जायटी, डिप्रेशन जैसी बीमारियों को को ट्रिगर करता है, जिसका बॉडी पर नेगेटिव असर देखने को मिलता है।
2. मेलाटोनिन हार्मोन
तापमान बढ़ने से मेलाटोनिन हार्मोन (Melatonin hormone ) का लेवल बिगड़ने लगता है, जिससे स्लीपिंग पैटर्न और इंसान का नाईट रूटीन बिगड़ने लगता है। नींद से कमी या किसी भी तरह की बाधा सीधे मूड पर असर डालती हैं। आपको बता दे की नींद पूरी न होने से पाचन भी खराब रहता है।
3. सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर
गर्मी बढ़ने के चलते सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर ( Seasonal affective disorder )के मरीजों के लिए भी प्रॉब्लम बढ़ जाती है। हर वक्त डिप्रेस रहना, बातचीत न करना, बिना ज्यादा काम किया हर वक़्त थकान महसूस करना और आलस जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
4. डोपामाइन न्यूरो केमिकल
गर्मी बढ़ने की वजह से जब रातों की नींद पूरी नहीं होती तो इससे हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ने लगता है। डोपामाइन न्यूरो केमिकल (Dopamine neuro chemical ) की अधिकता से व्यक्ति मेनिया का शिकार हो जाता है, और जरूरत से ज्यादा बोलने लगता है । बात-बात पर गुस्सा होना भी इसके लक्षणों में शामिल है।
अगर आपको अपने अंदर ऐसे कोई लक्षण महसूस हो रहे है तो तुरंत आप अपने डॉक्टर से सलह ले और पॉजिटिव लोगो के साथ और पॉजिटिव जगहों पर ज्यादा से ज्यादा समय बिताए।