New Law 2024 : अब क्राइम वाले दर्ज मामले IPC, CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत चलेंगे। बता दें ये तीनों बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पास किए गए थें।
New Law 2024 : भारत की न्याय व्यवस्ता मे सुधार करने के लिए देश की राजधानी दिल्ली मे सोमवार यानि 1 जुलाई 2024 को 3 नए आपरधिक कानून लाये गए है। पिछले कई महीनों से पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा था. अब तक करीब 25 हजार पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, अब पुलिसकर्मियों को नए कानून के मुताबिक ही काम करना होगा।
दिल्ली पुलिस की माने तो नए कानून ब्रिटिश काल के IPC, CRPC,IEA की जगह लेंगे। सभी नए कानून के नाम भी पहले से बहुत अलग है जैसे की BNS, BNSS, BSA .
इस साल फेबुरारी के महीने मे इस तीनो कानूनों को लेकर नोटिफिक्शंस जारी किये है। इन नए कानून से कही नए और बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
दिल्ली पुलिस ने बताया की ‘‘नए कानूनों को समझने के लिए उचित प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। इसके साथ ही प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को नए कानूनों को समझने के लिए पुस्तिका भी दी गई हैं.”
New Law 2024 : क्या है नए कानून
नए आपराधिक कानून के अंतर्गत नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषियों को फांसी की सजा तक दी जा सकती है। वहीं, नाबालिग के साथ गैंगरेप करने को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है. जबकि, राजद्रोह को अब अपराध नहीं माना जाएगा.
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इन नए कानून मुताबिक जब पांच या उससे ज्यादा लोग जाति या समुदाय के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो उन्हें उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी।
New Law 2024 : नए कानून की जगह
आपको बता दे की नए कानून 3 पुराने कानून की जगह लेनेगें और एक नए और बड़े बदलाव के साथ काम करेंगे।
1 BNS (Bharatiya Nyaya Sanhita ) ने 163 साल पुराने IPC ( Indian Penal Code ) की जगह ली है।
इस कानून के सेक्शन 4 के तहत सजा के तौर पर दोषी को समाजिक सेवा करनी होगी। शादी का धोका देकर या फिर यौन संबंद बनाने और अपनी असली पहेचान छुपकर शादी के लिए धोका देने पर 10 साल की सजा के साथ जुरमाना प्रवधान है। इसके साथ ही संगठित अपराध जैसे अपहरण, डकैती, गाड़ी की चोरी, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, आर्थिक अपराध, साइबर क्राइम के लिए भी कड़े सजा का प्रावधान किया गया है।
2 BNSS ( Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita ) ने 1973 के CRPC ( Code of Criminal Procedure) की जगह ली है।
इस कानून के इस कानून के मुताबिक अगर किसी को पहली बार अपराधी माना गया तो वह अपने अपराध की अधिकतम सजा का एक तिहाई पूरा करने के बाद जमानत हासिल कर सकता है. ऐसे में विचाराधीन कैदियों के लिए तुरंत जमानत पाना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, यह कानून आजीवन कारावास की सजा पाने वाले अपराधियों पर लागू नहीं होगा. इस कानून के अंतर्गत कम से कम सात साल की कैद की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अब अनिवार्य हो जाएगा।
3 BSA ( Basic Shiksha Adhikari ) ने 1872 मे बने IEA ( International Energy Agency) की जगह ली है।
इस कानून मे कही बड़े बदलाव किये गए है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को लेकर नियमों को विस्तार से बताया गया है और द्वितीय सबूत को भी शामिल किया गया है. अब तक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की जानकारी एफिडेविट तक ही सीमित होती थी ,पर अब इसके बारे में कोर्ट को विस्तृत जानकारी देनी होगी. कोर्ट को बताना होगा कि इलेक्ट्रॉनिक सबूत में क्या-क्या शामिल है।