
नया और पुराना कानून — क्या है अंतर?
नई दिल्ली: भारतीय टैक्स सिस्टम में बड़े बदलाव की दिशा में आज एक ऐतिहासिक कदम उठने जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में नए आयकर विधेयक, 2025 को पेश करेंगी। यह विधेयक 63 साल पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेने वाला है।
इस नए कानून में प्रवर समिति के सुझाए गए 285 संशोधन शामिल किए गए हैं। इन संशोधनों को हाल ही में भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली समिति ने मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य टैक्स प्रक्रिया को और सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाना है, ताकि तेजी से बदलते आर्थिक परिदृश्य में लोगों और व्यवसायों को सुविधा मिल सके।
नया और पुराना कानून — क्या है अंतर?
पुराना आयकर अधिनियम, 1961 ब्रिटिश कालीन ढांचे के बाद के आर्थिक माहौल में तैयार किया गया था, जिसकी कई धाराएं अब अप्रासंगिक हो चुकी हैं।
न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप कल्चर, ग्लोबल निवेश और टैक्स कंप्लायंस के लिए अधिक स्पष्ट प्रावधान लेकर आ रहा है।
इसमें ई-फाइलिंग, फेसलेस असेसमेंट और विवाद समाधान के आसान रास्तों पर विशेष जोर है।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह नया विधेयक न केवल टैक्स वसूली की प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि टैक्सदाताओं के अधिकारों को भी मजबूत करेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव भारत की Ease of Doing Business रैंकिंग और निवेश माहौल में सकारात्मक असर डाल सकता है। इस विधेयक में प्रवर समिति द्वारा सुझाए गए 285 संशोधन शामिल किए गए हैं, जिन्हें भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली समिति ने मंजूरी दी थी। इन बदलावों का मकसद टैक्स कानून को आधुनिक, सरल और पारदर्शी बनाना है।
क्या है खास?
डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप सेक्टर के लिए नए प्रावधान
ई-फाइलिंग और फेसलेस असेसमेंट की व्यवस्था को और मजबूत करना
टैक्स विवाद समाधान के लिए आसान रास्ते
टैक्सदाताओं के अधिकारों की स्पष्ट परिभाषा
विशेषज्ञों का कहना है कि न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 से टैक्स प्रशासन अधिक प्रभावी होगा और भारत की Ease of Doing Business रैंकिंग में सुधार होगा। वहीं, कारोबारियों और निवेशकों को नियमों की पारदर्शिता से राहत मिलने की उम्मीद है।