
दूसरी तरफ, आरजेडी ने भी अपनी पिच तैयार कर ली है भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव को मैदान में उतारकर। खेसारी छपरा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। मतलब एक तरफ मिथिलांचल का स्वर, दूसरी तरफ भोजपुरिया जोश! दोनों अलग-अलग इलाकों से हैं, लेकिन एक समानता है दोनों राजनीति के नए खिलाड़ी हैं, लेकिन जनता के दिलों में पुराने फेवरेट।
जब ये दोनों मंच पर आएंगे, तो बिहार की रैलियां सिर्फ राजनीतिक नहीं रहेंगी मनोरंजन से भरपूर होंगी।
मैथिली जब लोकगीतों में अपनी मधुर आवाज बिखेरेंगी और खेसारी जब अपने भोजपुरी जोश से मंच को थर्राएंगे, तो भीड़ झूम उठेगी।कहा जा रहा है कि दोनों दल अपने स्टार चेहरों को सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं, बल्कि राज्यभर की सभाओं में प्रचार के लिए भेजेंगे।तीसरा मोर्चा भी दिलचस्प है।
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने भी इस रेस में अपना स्टार जोड़ा भोजपुरी गायक रितेश पांडे को करगहर सीट से टिकट दिया है।
यानी अब बिहार की राजनीति में तीन सुर हैं मैथिली, भोजपुरी और जन सुराज का नया साउंड।छठ गीत से चुनावी गीत तक,मैथिली ठाकुर के “सीताराम विवाह” जैसे गीत हों या खेसारी लाल यादव का “छपरा छठ मनाएंगे” दोनों कलाकारों ने अपने-अपने लोकगीतों से पहचान बनाई है। अब वही लोकल सुर राजनीति के ग्लोबल मंच पर गूंजने वाले हैं।
कहानी का सार यही है
अबकी बार बिहार का चुनाव सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं,
ये एक सुरीला संग्राम है।
जहाँ एक तरफ होंगी बीजेपी की सुरकन्या मैथिली ठाकुर,
और दूसरी ओर आरजेडी का शूरवीर खेसारी लाल यादव।
और तीसरी तरफ है जन सुराज के रितेश पांडेय।
अब देखना ये है कि जनता को कौन-सा “राग” ज्यादा भाता है
भोजपुरीया जोश या मिथिलांचल की मिठास!
और वैसे तो भारतीय जनता पार्टी ने तमाम भोजपुरिया कलाकार को अपनी पार्टी में पहले ही शामिल कर लिया है इसलिए इस बार मंच पर केवल राजनितिक बयार ही नहीं बल्कि सुर संग्राम भी देखने को मिलेगा।