
बिहार में आरजेडी और कांग्रेस में होगा टकराव ?तेजस्वी यादव नहीं है इंडिया गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा ?सवाल पूछने पर राहुल गांधी ने दिया गोलमोल जवाब आरजेडी को पीछे धकेलकर कांग्रेस को आगे ले आये राहुल गांधी।
बिहार में आरजेडी और कांग्रेस में होगा टकराव ? वोटर अधिकार यात्रा में कांग्रेस के झंडे के नीचे दबकर रह गई आरजेडी ।
पटना ,1 सितंबर 2025 बिहार की मिट्टी से निकल रही आवाज़ है चुनाव की…सियासत की…और एक ऐसे सवाल की… जिसका जवाब आज तक साफ नहीं है। मुख्यमंत्री कौन होगा? INDIA गठबंधन ने गठबंधन तो बना लिया, लेकिन आज तक चेहरा तय नहीं कर पाया। पत्रकार ने राहुल गांधी से सीधा सवाल किया –क्या तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे ? लेकिन राहुल गांधी ने… साफ जवाब देने से बच गए।न हाँ कहा…न ना कहा। बस गोलमोल बात…और यह गोलमोल जवाब …आज राजनीति का सबसे बड़ा संकेत बन चुका है।इधर… राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा निकाली।17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई…1,300 किलोमीटर का लंबा सफर…25 जिलों से होते हुए,गाँव-गाँव, कस्बों-कस्बों, मंदिरों और चौपालों तक।औऱंगाबाद से गया…नालंदा से भागलपुर…पूर्णिया से सीतामढ़ी…दरभंगा से पश्चिम चंपारण तक…यह यात्रा हर जगह चर्चा का केंद्र रही।और फिर…1 सितंबर को पटना में इस यात्रा का समापन हुआ। गांधी मैदान से अंबेडकर पार्क तक का “गांधी से अंबेडकर मार्च”…जहां राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, हेमंत सोरेन, और तेजस्वी यादव मंच पर साथ दिखे।लेकिन भीड़ जिसके झंडे तले थी? कांग्रेस के।यात्रा का मकसद था वोटरों के अधिकारों की लड़ाई…लेकिन इस यात्रा ने कांग्रेस को मजबूत किया आरजेडी को नहीं।तेजस्वी यादव, जो खुद को गठबंधन का भविष्य मानते हैं,आज कांग्रेस की छाया में खड़े नजर आ रहे है। भीड़ जुटी…लेकिन क्रेडिट किसके पास गया राहुल गांधी के पास।आरजेडी की जमीन,आरजेडी का वोट बैंक, आरजेडी का संगठन ,लेकिन खेल कांग्रेस ने अपने नाम कर लिया।तेजस्वी यादव के लिए यह सबसे बड़ा झटका है।क्योंकि बिहार की राजनीति मे जहां वो खुद को अगला मुख्यमंत्री मानते थे, वहीं राहुल गांधी की यात्रा ने उन्हें “बैकसीट” पर ला खड़ा किया।अब गठबंधन की असली लड़ाई यहीं है।कांग्रेस अपने आपको “मुख्य खिलाड़ी” बनाना चाहती है ,और आरजेडी अपने वर्चस्व को बचाना चाहती है। यानी गठबंधन की दो सबसे बड़ी पार्टियां ,अब एक-दूसरे को शक की नजर से देख रही हैं।जनता के बीच सवाल उठ चुका है –अगर तेजस्वी यादव चेहरा नहीं होंगे ,तो क्या कांग्रेस अपना चेहरा आगे करेगी ?क्या राहुल गांधी ने यह यात्रा इसी मकसद से निकली थी?और अगर हाँ…तो फिर गठबंधन के भीतर यह खामोश लड़ाई कब तक छिपी रहेगी? याद रखिये जहां भरोसा नहीं होता वहां गठबंधन लंबे वक्त तक नहीं टिकते।राहुल गांधी की “वोटर अधिकार यात्रा” बंद हो चुकी है। लेकिन यह यात्रा कांग्रेस को मजबूत कर गई…और आरजेडी को कमजोर कर गई। तो अब सबसे बड़ा सवाल आपके सामने है –क्या तेजस्वी यादव INDIA गठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा बन पाएंगे?या फिर राहुल गांधी की यह रणनीति…आरजेडी को पीछे धकेलकर कांग्रेस को आगे ले जाएगी?जवाब चाहे जो भी हो…लेकिन इतना तय है –यह लड़ाई अब सिर्फ सत्ता की नहीं…यह लड़ाई इगो और वर्चस्व की है।तो आप बताइए ,क्या कांग्रेस और आरजेडी मिलकर चुनाव लड़ पाएंगे?या फिर यह गठबंधन…चुनाव से पहले ही अंदर ही अंदर टूट जाएगाबिहार में आरजेडी और कांग्रेस में होगा टकराव ?तेजस्वी यादव नहीं है इंडिया गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा ?सवाल पूछने पर राहुल गांधी ने दिया गोलमोल जवाब आरजेडी को पीछे धकेलकर कांग्रेस को आगे ले आये राहुल गांधी। वोटर अधिकार यात्रा में कांग्रेस के झंडे के नीचे दबकर रह गई आरजेडी । कांग्रेस के झंडे की बीच दबकर रह गई आरजेडी ?
पटना ,1 सितंबर 2025 बिहार की मिट्टी से निकल रही आवाज़ है चुनाव की…सियासत की…और एक ऐसे सवाल की… जिसका जवाब आज तक साफ नहीं है। मुख्यमंत्री कौन होगा? INDIA गठबंधन ने गठबंधन तो बना लिया, लेकिन आज तक चेहरा तय नहीं कर पाया। पत्रकार ने राहुल गांधी से सीधा सवाल किया –क्या तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे ? लेकिन राहुल गांधी ने… साफ जवाब देने से बच गए।न हाँ कहा…न ना कहा। बस गोलमोल बात…और यह गोलमोल जवाब …आज राजनीति का सबसे बड़ा संकेत बन चुका है।इधर… राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा निकाली।17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई…1,300 किलोमीटर का लंबा सफर…25 जिलों से होते हुए,गाँव-गाँव, कस्बों-कस्बों, मंदिरों और चौपालों तक।औऱंगाबाद से गया…नालंदा से भागलपुर…पूर्णिया से सीतामढ़ी…दरभंगा से पश्चिम चंपारण तक…यह यात्रा हर जगह चर्चा का केंद्र रही।और फिर…1 सितंबर को पटना में इस यात्रा का समापन हुआ। गांधी मैदान से अंबेडकर पार्क तक का “गांधी से अंबेडकर मार्च”…जहां राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, हेमंत सोरेन, और तेजस्वी यादव मंच पर साथ दिखे।लेकिन भीड़ जिसके झंडे तले थी? कांग्रेस के।यात्रा का मकसद था वोटरों के अधिकारों की लड़ाई…लेकिन इस यात्रा ने कांग्रेस को मजबूत किया आरजेडी को नहीं।तेजस्वी यादव, जो खुद को गठबंधन का भविष्य मानते हैं,आज कांग्रेस की छाया में खड़े नजर आ रहे है। भीड़ जुटी…लेकिन क्रेडिट किसके पास गया राहुल गांधी के पास।आरजेडी की जमीन,आरजेडी का वोट बैंक, आरजेडी का संगठन ,लेकिन खेल कांग्रेस ने अपने नाम कर लिया।तेजस्वी यादव के लिए यह सबसे बड़ा झटका है।क्योंकि बिहार की राजनीति मे जहां वो खुद को अगला मुख्यमंत्री मानते थे, वहीं राहुल गांधी की यात्रा ने उन्हें “बैकसीट” पर ला खड़ा किया।अब गठबंधन की असली लड़ाई यहीं है।कांग्रेस अपने आपको “मुख्य खिलाड़ी” बनाना चाहती है ,और आरजेडी अपने वर्चस्व को बचाना चाहती है। यानी गठबंधन की दो सबसे बड़ी पार्टियां ,अब एक-दूसरे को शक की नजर से देख रही हैं।जनता के बीच सवाल उठ चुका है –अगर तेजस्वी यादव चेहरा नहीं होंगे ,तो क्या कांग्रेस अपना चेहरा आगे करेगी ?क्या राहुल गांधी ने यह यात्रा इसी मकसद से निकली थी?और अगर हाँ…तो फिर गठबंधन के भीतर यह खामोश लड़ाई कब तक छिपी रहेगी? याद रखिये जहां भरोसा नहीं होता वहां गठबंधन लंबे वक्त तक नहीं टिकते।राहुल गांधी की “वोटर अधिकार यात्रा” बंद हो चुकी है। लेकिन यह यात्रा कांग्रेस को मजबूत कर गई…और आरजेडी को कमजोर कर गई। तो अब सबसे बड़ा सवाल आपके सामने है –क्या तेजस्वी यादव INDIA गठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा बन पाएंगे?या फिर राहुल गांधी की यह रणनीति…आरजेडी को पीछे धकेलकर कांग्रेस को आगे ले जाएगी?जवाब चाहे जो भी हो…लेकिन इतना तय है –यह लड़ाई अब सिर्फ सत्ता की नहीं…यह लड़ाई इगो और वर्चस्व की है।तो आप बताइए ,क्या कांग्रेस और आरजेडी मिलकर चुनाव लड़ पाएंगे?या फिर यह गठबंधन…चुनाव से पहले ही अंदर ही अंदर टूट जाएगा