नई दिल्ली 08 नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने हाल ही में अपनी बैठक में यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की है कि रेपो दर 6.50% पर अपरिवर्तित रहेगी। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर और महंगाई पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
रेपो दर का महत्व
रेपो दर वह दर होती है, जिस पर RBI व्यावसायिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब RBI रेपो दर को बढ़ाता है, तो बैंकों के लिए ऋण महंगा हो जाता है, जिससे बाजार में तरलता कम होती है। इसके विपरीत, यदि RBI दर को घटाता है, तो बैंकों के लिए ऋण लेना सस्ता हो जाता है, जिससे बाजार में तरलता बढ़ती है।
मौद्रिक नीति का मौजूदा परिप्रेक्ष्य
शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने यह निर्णय लिया है कि मौजूदा आर्थिक स्थितियों के मद्देनज़र रेपो दर को स्थिर रखना आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया कि वैश्विक आर्थिक स्थिति, महंगाई दर और खाद्य कीमतों की वृद्धि पर ध्यान दिया जा रहा है।
महंगाई की स्थिति
हाल के दिनों में महंगाई दर में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। हालांकि, RBI का मानना है कि मौजूदा दरों को बनाए रखकर आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सकता है।
विकास दर पर नजर
RBI ने विकास दर को बनाए रखने के लिए आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। RBI का मानना है कि सही समय पर नीतिगत उपाय किए जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
निष्कर्ष
RBI की मौद्रिक नीति समिति का यह निर्णय भारत की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि बाजार में तरलता बनी रहे और महंगाई पर काबू पाया जा सके। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि RBI की नीतियां कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं।