गुरुग्राम। श्री शक्ति सेवा संस्थान के तत्वावधान में 17 दिसम्बर को मानेसर में होने वाला संवर्धिनी समागम ऐतिहासिक होगा। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई। कार्यक्रम सिंगल प्लास्टिक व रसायन प्रयोग मुक्त होने के साथ ही श्रीअन्न का भोजन ही परोसा जाएगा।
मानेसर सेक्टर एक कम्युनिटी सेंटर में नुहुँ व गुरुग्राम जिले की जागृत महिलाओं के होने वाले इस संवर्धिनी समागम की विभाग संयोजिका प्रतिमा मनचंदा ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे हरियाणा में 7 समागम होंगे। गुरुग्राम में होने वाला यह पहला संवर्धिनी समागम होगा। उनके अनुसार यह अनूठा समागम होगा जो महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए होगा। इस समागम में सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति भारद्वाज दलाल, अखिल भारतीय महिला समन्वय सह संयोजिका भाग्यश्री साठे,पदमश्री महिला कब्बडी कोच डॉ सुनील डबास जैसी वरिष्ठ महिलाएं चर्चा करेंगी। श्रीमती मनचंदा के अनुसार इस समागम में भारतीय चिंतन में महिला, वर्तमान महिलाओं की स्थिति व भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका जैसे विषयों पर चर्चा के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। जिसमे संस्कृत में राष्ट्रगान, प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किए गए भारत नाट्यम नृत्य पर गीत आओ सुनाए तुमको नारी शक्ति की कहानी, हम कथा सुनाते हैं श्रीराम की के अलावा योग प्रस्तुति भी आकर्षण का केंद्र होगा।
इसके साथ ही स्वदेशी उत्पाद, महिलाओं के स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित वस्तुएं, पर्यावरण संरक्षण के उपाय, ऑर्गनिक खाद्य उत्पात की स्टाल भी आने वाली महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित करेगी। विभिन्न क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली हरियाणा की नारी शक्ति की चित्रवली व रंगोली भी आकर्षित करेगी। कार्यक्रम में मिलेट्स का भोजन बनाया जाएगा। इसके लिए बाजरे की खिचड़ी व बाजरे का चूरमा विशेषतौर पर बनाया जाएगा। इसके लिए गांव से विशेषज्ञ को बुलाया गया है। श्रीमती मनचंदा ने कहा कि इस कार्यक्रम को सफल करने के लिए सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। महिला सम्पर्क टोली की सूचना के अनुसार लगभग 3 हजार महिलाएं इस कार्यक्रम में सहभागी होगी। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम महिलाओं के चिंतन में क्रांतिकारी कदम साबित होगा। इससे समाज निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़े इसका मूल उद्देश्य है। क्योंकि नारी के सहयोग के बिना किसी भी विकसित राष्ट्र की परिकल्पना को साकार नहीं किया जा सकता है।