हिंदी भवन, दिल्ली के भव्य सभागार में साहित्य प्रेमी मंडल के तत्वावधान में स्वर गंगा कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह पूरी दिव्यता और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सत्यनारायण जटिया जी की उपस्थिति रही। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि मैंने पिछले दस वर्षों में दिल्ली में इतना भव्य साहित्यिक सम्मान समारोह नहीं देखा। साहित्य प्रेमी मंडल एक ऐसी संस्था है जो साहित्य के साथ-साथ संस्कारों का भी बीजारोपण कर रही है। उनके द्वारा पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा जी को अल्हड़ बीकानेरी हास्य रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ कीर्ति काले जी को निराला श्री सम्मान और मध्य प्रदेश भोपाल से उपस्थित श्री मदन मोहन समर जी को साहित्य भारतीय सम्मान प्रदान किया गया। डॉ प्रवीण शुक्ल के संचालन में डॉ सुरेश अवस्थी और संदीप शजर ने भी अपना श्रेष्ठ काव्य पाठ प्रस्तुत किया। श्रोताओं से खचाखच भरे हिंदी भवन के सभागार में लगातार पांच घंटे तक आनंद, उत्साह और उमंग की बरसात होती रही। पूरा सभागार लगातार श्रोताओं से खचाखच भरा रहा। अनेक श्रोताओं ने जगह न मिलने के कारण लगातार पांच घंटे तक अपने स्थान पर खड़े होकर कविताओं का आनंद लिया।
कविवर ब्रज शुक्ल घायल जी द्वारा स्थापित साहित्य प्रेमी अपने 39 वर्ष पूर्ण कर चुका है। इस यात्रा में साहित्य प्रेमी मंडल के खाते में अनेक विशिष्ट उपलब्धियां दर्ज हो चुकी हैं। आज का हिंदी भवन का कार्यक्रम भी उन्हीं उपलब्धियों में से एक उपलब्धि के रूप में याद किया जाएगा। श्रोताओं में डॉ सरिता शर्मा, श्रीमती अंजू जैन, डॉ विमलेश कांति वर्मा, डॉ सुभाष वशिष्ठ, श्री अतुल प्रभाकर, श्री राज कौशिक, श्री महेश गर्ग बेधड़क, श्री गुणवीर राणा, डॉ रंजना अग्रवाल, श्री आदिल रशीद, पूनम मटिया, तूलिका सेठ, वंदना कुँअर रायजादा, विनोद पाराशर, सुनहरी लाल तुरंत, योगेंद्र सुंदरियाल, रजनीश राज, मुकेश शर्मा, सरिता सरोज, डॉ रंजना अग्रवाल, प्रेम बिहारी मिश्र, अतुल जैन, हरि प्रकाश जी सहित अनेक कवियों, लेखकों और साहित्यकारों की उपस्थिति रही। प्रारंभ में संस्था के उपाध्यक्ष राजेश कुमार जी ने संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर संस्था के संरक्षक भाई अरविंद गुप्ता जी का जन्मदिवस भी मनाया गया। अंत में संस्था के कोषाध्यक्ष निर्दोष शर्मा जी ने सभी का आभार व्यक्त किया और स्वरूचि भोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।