हेल्थ, 28 फरवरी 2024| आज के समय में बहुत से लोग हैं जो कि माइग्रेन से परेशान है. माइग्रेन सिर में बार-बार होने वाला तेज दर्द है जो खासकर सिर के आधे हिस्से में होता है. पंडित खुशीलाल आयुर्वेदिक हॉस्पिटल भोपाल में कार्यरत आयुर्वेद के प्रोफेसर विवेक शर्मा ने बताया कि माइग्रेन आज के समय में एक बहुत बड़ी जटिल समस्या है. इस बीमारी का पता लगाने के लिए हम कुछ सिम्टम्स को देखते हैं. जैसे किसी के आधे सिर में दर्द होता है, किसी को लाइट से प्रॉब्लम, किसी को साउंड से प्रॉब्लम, किसी को भूखे पेट से प्रॉब्लम है माइग्रेन में ऐसे ही कुछ सिम्टम्स होते हैं. माइग्रेन का सबसे अच्छा इलाज आयुर्वेद विज्ञान में बताया गया है. जो हजारों साल पुरानी पद्धति है.
लोकल 18 से बात करते हुए प्रोफेसर विवेक शर्मा ने बताया कि ‘नासा ही शिरसो द्वारं’ यह बात आयुर्वेद में स्पष्ट कही गई है. इसका अर्थ यह है कि हमारी नाक ही हमारे मस्तिष्क का रास्ता है. इसलिए मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों का भी इलाज नाक के जरिए आयुर्वेदिक औषधि डालकर किया जा सकता है. आयुर्वेदिक में पंचकर्म उपचार 5 तरह के आयुर्वेदिक थेरेपी बताई गई हैं.
माइग्रेन से 100 प्रतिशत मिलेगी राहत
नस्य थेरेपी एक आयुर्वेदिक इलाज है, औषधि को नाक के माध्यम से शरीर में पहुंचाने का काम किया जाता है. आमतौर पर इन आयुर्वेदिक औषधियों में देसी घी, कई प्रकार के तेल और क्वाथ शामिल होते हैं. यह थेरेपी विशेष रूप से कान, नाक और गले के विकारों पर मददगार है. यह गर्दन के ऊपर के भागों में रोगों के लिए विशेष रूप से काम आता है. शिरोलेपा और शिरोधारा सभी प्रकार के माइग्रेन रोगियों के लिए लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपचार हैं. शिरोलेपा प्रभावित क्षेत्र पर कपूर , चंदन, जटामांसी और कई अन्य युक्त प्रभावी हर्बल पेस्ट का अनुप्रयोग है. शिरो धारा एक निश्चित समय के लिए खोपड़ी पर पतले से गाढ़े तरल पदार्थ की एक धारा डालने की प्रक्रिया है. ये माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां हैं. आयुर्वेद में कुछ प्राचीन जड़ी-बूटियां प्रस्तुत हैं जो आपको माइग्रेन से 100 प्रतिशत राहत की गारंटी देती हैं. इनमें बाला, कुमारी, मल्लिका, अमला की, सारिवा, यस्तिमधु, हरीतकी और कई अन्य शामिल हो सकते हैं.