हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल वास्तव में चरितार्थ कर रहे हैं
दिल्ली, अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ऐ दिल जमाने के लिए …… बेशक यह फिल्मी गीत किसी जमाने में दर्शकों के मनोरंजन के बनाया गया था। लेकिन इस गीत के बोल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल वास्तव में चरितार्थ कर रहे हैं। इतना बड़ा दावा हम बिना आधार के नहीं कर रहे। आज हम मुख्यमंत्री मनोहर लाल से जुड़ा ऐसा राज बताने जा रहे हैं। जिसे सुनकर आप यह कहने को मजबूर हो जाएंगे कि मनोहर लाल अब तक के सबसे नेक दिल मुख्यमंत्री हैं। क्योंकि मनोहर लाल ऐसे इंसान है कि उन्होंने एक बेसहारा बच्चे की पीड़ा सुनकर न केवल उसे अपने गले लगाया बल्कि प्रदेश के सभी बेसहारा बच्चों के कल्याण के लिए कई तरह की योजनाएं लागू कर दी।
चलिए हम आपकों इस घटनाक्रम की पूरी कहानी बताते हैं। हरियाणा के एक बालग्राम में रहने वाला एक बच्चा वर्ष 2011 में स्कूल से लौटकर आया तो उसे बताया गया कि वह 18 वर्ष का हो चुका है, इसलिए वे उसे कानूनन बालग्राम में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसे में उस मासूम के सिर पर मुसीबतों को पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन मासूम ने हिम्मत नहीं हारी पार्ट टाइम जॉब करते हुए उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी। अनाथ बच्चों की इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए उसने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से कई बार मिलने का प्रयास किया। लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। वर्ष 2019 में उसे पता चला कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल 15 अगस्त को जिले में झंडा फहराने आ रहे हैं। कार्यक्रम में पहुंच कर उसने मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास किया। रोकने पर उसने सुरक्षा कर्मियों को एक पत्र मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए दिया। पत्र को पढक़र ओएसडी ने उसे मुख्यमंत्री से मिलवाया। मौका मिलते ही उसने न केवल अपनी बल्कि ऐसी परेशानियों से गुजरने रहे तमाम बच्चों की पीड़ा के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तार से बताया।
मासूम की पीड़ा को सुनकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का दिल बुरी तरह पसीज गया
उस मासूम की पीड़ा को सुनकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का दिल बुरी तरह पसीज गया। ऐसे में उन्होंने सिर्फ उस मासूम का ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी बालग्रामों में रहने वाले तमाम बच्चों का कल्याण करने की ठान ली। उन्होंने उस मासूम के रहने की व्यवस्था सरकारी रेस्ट हाउस में करवा दी और लगातार उसके सम्पर्क भी रहने लगे। जिससे मुख्यमंत्री मनोहर को बालग्रामों में रहने वाले मासूमों की पीड़ा का अच्छी तरह पता चलता गया। इसलिए उन्होंने इन मासूमों को न केवल संरक्षण देने बल्कि उन्हें पैरों पर खड़ा करने का फैसला लिया। उन्होंने बालग्रामों में रहने वाले बच्चों की पॉलिसी में अमूल चूल परिवर्तन कर इतना बड़ा कदम उठा, जितना आज तक किसी ने नहीं किया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा अनाथ बच्चों के लिए लागू की गई नई पॉलिसी के मुताबिक 18 वर्ष से 25 वर्ष की उम्र तक इन बच्चों की शिक्षा, रहने और भोजन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी अब सरकार की है। पॉलिसी में परिवर्तन के बाद 18 वर्ष की उम्र पूरी होने तक सरकार द्वारा इन बच्चों के रहने और भोजन की व्यवस्था पीजी अथवा सरकारी रेस्ट हाउसों में सरकारी खर्च पर की जा रही है।
बेसहारा बच्चों को सुविधा देने का सिलसिला यहीं पर नहीं रोका
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बेसहारा बच्चों को सुविधा देने का सिलसिला यहीं पर नहीं रोका। उन्होंने दरियादिली का परिचय देते हुए इन बच्चों को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था भी कर दी है। 18 साल की उम्र पूरी होने तक यदि कोई बच्चा 10वीं या 12 कक्षा पास कर लेता है तो उसे ग्रुप सी में बिना कोई परीक्षा लिये सरकरी दी जा रही है। यदि वह स्नातक या इससे आगे की शिक्षा पूरी कर लेता है तो वह ए अथवा बी श्रेणी की नौकरी का हकदार माना जा रहा है। इसके लिए उसे परीक्षा तो देनी पड़ती है लेकिन उसे ईडब्ल्युएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की श्रेणी का लाभ दिया जा रहा है। यह सिर्फ घोषणा नहीं है, मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा यह काम वास्तव में किया जा रहा है। जो युवक मुख्यमंत्री के पास इस वर्ग के बच्चों की गुहार लेकर पहुंचा तो वह आज प्रदेश में उच्च पद पर कार्यरत है। उसके अलावा अब तक इस तरह के 11 बच्चों को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। अन्य दो बच्चों की भर्ती प्रक्रिया जारी है।
सीएम मनोहर लाल की नई पॉलिसी के मुताबिक नौकरी लगने के बाद भी 25 वर्ष की आयु या इससे पहले शादी होने तक इन बच्चों के रहने और खाने का इंतजाम सरकार ही कर रही है। वेतन उनके बैंक खातों में जमा किया जाता है। इस दौरान उन्हें वेतना का 20 प्रतिशत खाते से निकालने की अनुमति है। ऐसे में जब बच्चा 25 वर्ष का होता है तो उसके पास खुद को स्थापित करने के लिए अच्छी खासी रकम जमा हो जाती है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बच्चों के लिए और भी अनेक काम किये हैं, जिन्हें हम आपकों अगले ऐपिसोड में दिखाएंगे।
सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इतना बड़ा काम करने के बाद इसका कोई प्रचार भी नहीं किया। इस वास्तविक घटना की खबर देखने के बाद अब खुद अंदाजा लगा सकते है कि आपने प्रदेश की बागडोर कितने नेकदिल इंसान के हाथों में सौंपी हुई है।