गुरुग्राम, 4 नवंबर। गुरुग्राम और सोहना विधानसभा क्षेत्र के चुनाव व्यय पर्यवेक्षक एवं आईआरएस अधिकारी कुंदन यादव ने विधानसभा चुनाव में भाग लेने वाले सभी उम्मीदवारों को चुनाव खर्च का विवरण 8 नवंबर तक निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में जमा करने का सख्त निर्देश दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तिथि के बाद उम्मीदवारों को कोई अतिरिक्त अवसर नहीं मिलेगा।
स्थानीय विश्राम गृह सभागार में आयोजित बैठक में कुंदन यादव ने गुरुग्राम विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों द्वारा प्रस्तुत किए गए चुनाव खर्च दस्तावेजों का गहन विश्लेषण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सभी उम्मीदवार अपने चुनाव खर्च रजिस्टर और चुनाव कार्यालय में रखे गए शैडो रजिस्टर का आपस में मिलान अवश्य कर लें। यदि किसी मद में खर्च की राशि निर्धारित रकम से अधिक प्रतीत होती है, तो उम्मीदवारों को अपनी आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार है।
चुनाव खर्च विवरण की प्रक्रिया
कुंदन यादव ने बताया कि चुनाव परिणाम आने के बाद उम्मीदवारों को अपने खर्च का पूरा विवरण जमा करने के लिए एक माह का समय दिया जाता है, जो 8 नवंबर को समाप्त हो रहा है। इसलिए सभी उम्मीदवारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे समय पर अपना विवरण लिखित रूप में प्रस्तुत करें। इसके बाद किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।
जिला स्तरीय बैठक का आयोजन
चुनाव खर्च से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए 5 नवंबर को लघु सचिवालय सभागार में चारों विधानसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। बैठक में सभी प्रत्याशी अपने खर्च से जुड़े दस्तावेज और बिल साथ लेकर आएंगे, जिनकी गहन जांच-पड़ताल की जाएगी।
दो रजिस्टरों में दर्ज होता है खर्च
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार के दो रजिस्टर तैयार किए जाते हैं। पहले रजिस्टर में उम्मीदवार अपने चुनाव खर्च का विवरण दर्ज करता है, जबकि शैडो रजिस्टर में वीवीएसटी (वीडियो व्यूइंग सर्विलांस टीम) और अन्य टीमें उम्मीदवार के खर्च का ब्यौरा दर्ज करती हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्येक व्यय की दरें पहले से तय की जाती हैं, और यह जानकारी उम्मीदवारों को नामांकन के समय ही दे दी जाती है।
खर्च सीमा का पालन अनिवार्य
निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक विधानसभा चुनाव में अधिकतम खर्च की सीमा 40 लाख रुपये निर्धारित की गई है। उम्मीदवारों को अपने खर्च के हर विवरण को इस सीमा के भीतर समेटना अनिवार्य है।
इस अवसर पर एआरओ (सहायक निर्वाचन अधिकारी) और नायब तहसीलदार सुरेंद्र भारद्वाज समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। सभी दस्तावेजों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक जांच-पड़ताल की गई।
चुनाव खर्च पर इस तरह की सख्ती और निगरानी का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।