नई दिल्ली, 5 नवंबर: देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में तेज़ी से गिरावट के कारण दिल्ली और आसपास के इलाकों में सांस लेना भी कठिन हो गया है। इस प्रदूषण के चलते न केवल सीनियर सिटीजन बल्कि युवा भी गंभीर शारीरिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। अस्पतालों में सांस की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
प्रदूषण का स्तर दिल्ली में खतरे के निशान पर
दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण के स्तर में भारी वृद्धि हो गई है। खासकर गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, चरखी दादरी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक, झज्जर, बल्लमगढ़, पलवल, और रेवाड़ी जैसे इलाके भारी वायु प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। इसके साथ ही दिल्ली के प्रमुख क्षेत्रों जैसे नांगलोई, एयरपोर्ट, और द्वारका में भी प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ, खांसी, और गले में जलन जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं, जिसके कारण अधिकतर लोग अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।
प्रदूषण से युवा भी परेशान, बढ़ रही है स्वास्थ्य समस्या
जहां एक तरफ सीनियर सिटीजन प्रदूषण के कारण सांस की समस्या का सामना कर रहे हैं, वहीं युवाओं को भी प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। सांस की तकलीफ, सिरदर्द, और आंखों में जलन जैसी समस्याओं ने लोगों को परेशान कर दिया है। विशेषकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक हो गई है। दिल्ली एनसीआर के निवासी अब अपने परिवारों के साथ प्रदूषण से बचने के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन करने लगे हैं।
सरकार की नाकामी: प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम नहीं
वर्तमान स्थिति में सबसे बड़ी चिंता यह है कि सरकार की ओर से प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। दिल्ली और एनसीआर में फैल रहे प्रदूषण पर काबू पाने के लिए ऑड-ईवन योजना, स्मॉग टावर, और निर्माण कार्यों पर रोक जैसे कदम उठाए गए थे, लेकिन वे भी अब तक स्थायी समाधान नहीं बन पाए हैं। सर्दी का मौसम आते ही फसल अवशेष जलाने, वाहन धुएं, और औद्योगिक प्रदूषण जैसे कारणों से यह समस्या और अधिक बढ़ जाती है।
युवाओं और परिवारों का पलायन
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए कई युवा और उनके परिवार दिल्ली और गुरुग्राम जैसे प्रदूषित शहरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं। लोगों ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और राजस्थान जैसे साफ़-सुथरे और प्रदूषण मुक्त क्षेत्रों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है।
प्रदूषण से निपटने के लिए क्या किया जा सकता है?
प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए सरकार को दृढ़ कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्मॉग टावर, ग्रीन बेल्ट और साफ़ ऊर्जा प्रणालियों का इस्तेमाल बढ़ाना होगा। साथ ही वाहनों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए और फसल जलाने जैसी समस्या से निपटने के लिए किसानों को वैकल्पिक उपायों की शिक्षा और सहायता प्रदान करनी चाहिए।दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है और यह जन स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। प्रदूषण के कारण सांस की समस्याएं, गले में जलन, और अन्य शारीरिक परेशानी बढ़ रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए सरकार को तात्कालिक रूप से सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, नागरिकों को भी इस प्रदूषण से बचने के उपायों को अपनाने की आवश्यकता है, ताकि इस समस्या से निपटा जा सके और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बचाया जा सके।