गुरुग्राम, 22 अप्रैल
ऊर्जा समिति द्वारा आज विश्व पृथ्वी दिवस को पौधारोपण कर मनाया गया. महासचिव संजय कुमार चुघ ने कहा कि हम पीपल, बड़, बेल, नीम, आंवला एवं आम आदि वृक्षों को लगाकर आने वाली पीढ़ी को निरोगी एवं ‘सुजलां सुफलां पर्यावरण’ देने का प्रयास करें.
महासचिव ने बताया कि इस वर्ष वर्ल्ड अर्थ डे की थीम है, ‘इन्वेस्ट इन आवर प्लांट (Invest in our planet), मतलब ‘हमारे ग्रह में निवेश करें’. इसमें मुख्य बिंदु पर्यावरण संरक्षण के लिए मौजूदा चुनौतियों को जान कर उन्हें खत्म करने के उपायों पर विचार-विमर्श करना है.
उन्होंने बताया कि शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है. पीपल 100 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है. बेल 85 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है. नीम, वटवृक्ष, इमली व कविट 80 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है. आवला 74 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है. आम 70 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है. ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते है साथ ही धरती के तापमान को भी कम करते है.
उन्होंने सचेत किया कि अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं. आगामी वर्षों में प्रत्येक 500 मीटर के अंतर पर यदि एक एक पीपल, बड़, नीम आदि का वृक्षारोपण किया जाएगा, तभी अपना भारत देश प्रदूषणमुक्त होगा. घरों में तुलसी के पौधे लगाना होंगे. हम अपने संगठित प्रयासों से ही अपने ‘भारत’ को नैसर्गिक आपदा से बचा सकते है. भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही अभियान आरंभ करने की आवश्यकता है.
उन्होंने बताया कि वर्ल्ड अर्थ-डे (विश्व पृथ्वी दिवस) हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिन को इंटरनेशनल मदर अर्थ डे के रूप में भी जाना जाता है. इसको मनाने का उद्देश्य है कि लोग पृथ्वी के महत्व को समझें और पर्यावरण को बेहतर बनाए रखने के प्रति जागरूक हों. साथ ही करोड़ों लोग मिलकर पृथ्वी से जुड़ी पर्यावरण की चुनौतियां जैसे क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और जैव विविधता संरक्षण के लिए प्रयास करने में और जागरुक हों और इसमें तेजी लाएं. यही वजह है कि इस दिन पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी को बचाने का संकल्प लिया जाता है.
विश्व पृथ्वी दिवस पर स्कूली छात्र एवं सामाजिक संगठन और संस्थाओं द्वारा पेड़ लगाकर, सड़क के किनारे कचरा उठाकर, लोगों को बेहतर जीवन जीने के तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करने जैसे कार्यक्रम आयोजित कर मनाया जाता है. सभी मिलकर इसमें सहयोग करते हैं.
वर्ल्ड अर्थ डे का इतिहास
1970 में आज से 53 साल पहले पहली बार वर्ल्ड अर्थ डे मनाया गया था. तब से ये लगातार जारी है. दरअसल पर्यावरण के प्रति अनदेखी के चलते पृथ्वी की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. लिहाजा अर्थ डे के जरिए दुनिया के लोगों को जागरूक करने का काम किया जाता है. पर्यावरण से खिलवाड़ के चलते दशकों से पृथ्वी की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. वर्ल्ड अर्थ डे मनाने का मतलब दुनियाभर के लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हों.
विश्व पृथ्वी दिवस ग्लोबल स्तर पर 192 देशों द्वारा मनाया जाता है. 60-70 के दशक में जंगलों और पेड़ों की अंधाधुन्ध कटाई को देखते हुए सितम्बर 1969 में सिएटल, वाशिंगटन में एक सम्मलेन में विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने इसे मनाने की घोषणा की. इस राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन में अमेरिका के स्कूल और कॉलेजों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. इसके साथ ही इस सम्मेलन में 20 हजार से अधिक लोग एकत्र हुए थे. वर्ष 1970 से लगातार ये दिवस मनाया जा रहा है.